वर्ल्ड बैंक ने की मोदी सरकार की जमकर तारीफ, दुनिया को दी भारत से सीखने की सलाह

विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास ने कहा है कि कोविड महामारी संकट के दौरान भारत ने गरीब और जरूरतमंद को जिस प्रकार से समर्थन दिया है, वह असाधारण है. उन्होंने कहा, महामारी की कीमत गरीब को चुकानी पड़ी. ऐसी सामाजिक सुरक्षा प्रणालियां सामने आयीं, जो कमजोर हैं और ऐसी वित्तीय प्रणालियां जो कम विकसित हैं.

By Rajeev Kumar | October 5, 2022 1:38 PM

World Bank Praise Modi Govt: कोविड महामारी के दौरान देश के गरीबों की असाधारण ढंग से मदद करने के लिए विश्व बैंक ने भारत की तारीफ की है. विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास ने कहा है कि कोविड-19 महामारी संकट के दौरान भारत ने गरीब और जरूरतमंद लोगों को जिस प्रकार से समर्थन दिया है, वह असाधारण है. मालपास ने ‘गरीबी एवं पारस्परिक समृद्धि रिपोर्ट’ जारी करते हुए कहा कि अन्य देशों को भी व्यापक सब्सिडी के बजाय, भारत की तरह लक्षित नकद हस्तांतरण जैसा कदम उठाना चाहिए.

विकासशील देशों ने कोविड के दौरान उल्लेखनीय सफलता पायी

उन्होंने कहा कि महामारी की सबसे बड़ी कीमत गरीब लोगों को चुकानी पड़ी. उन्होंने कहा कि गरीब देशों में गरीबी बढ़ गई और ऐसी अर्थव्यवस्थाएं सामने आयीं, जो अधिक अनौपचारिक हैं, ऐसी सामाजिक सुरक्षा प्रणालियां सामने आयीं, जो कमजोर हैं और ऐसी वित्तीय प्रणालियां जो कम विकसित हैं. इसके बावजूद कई विकासशील अर्थव्यवस्थाओं ने कोविड-19 के दौरान उल्लेखनीय सफलता हासिल की.

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खाद्य एवं नकदी समर्थन देने में सफल

विश्व बैंक के अध्यक्ष ने कहा, डिजिटल नकद हस्तांतरण के जरिये भारत ग्रामीण क्षेत्र के 85 फीसदी परिवारों को और शहरी क्षेत्र के 69 फीसदी परिवारों को खाद्य एवं नकदी समर्थन देने में सफल रहा, जो उल्लेखनीय है. वहीं दक्षिण अफ्रीका ने सामाजिक सुरक्षा दायरे में सबसे बड़ा विस्तार किया और गरीबी राहत पर 6 अरब डॉलर खर्च किये, जिससे करीब 2.9 करोड़ लोगों को लाभ मिला.

डिजिटल नकद हस्तांतरण प्रणाली कारगर

उन्होंने बताया कि ब्राजील ने आर्थिक संकुचन के बावजूद 2020 में भीषण गरीबी को कम करने में सफलता हासिल की और ऐसा परिवार आधारित डिजिटल नकद हस्तांतरण प्रणाली से संभव हुआ. मालपास ने कहा, व्यापक सब्सिडी के बजाय लक्षित नकद हस्तांतरण को चुनें.

यह अधिक प्रभावी

यह गरीबों और संवदेनशील समूहों को समर्थन देने के लिहाज से अधिक प्रभावी है. नकद हस्तांतरण पर 60 फीसदी से अधिक खर्च निम्न वर्ग के 40 फीसदी लोगों तक पहुंचता है. सब्सिडी के बजाय नकद हस्तांतरण का आय वृद्धि पर अधिक बड़ा प्रभाव है. (इनपुट : भाषा)

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