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WPI Inflation: सर्दी में मिली महंगाई से राहत, जनवरी में मुद्रास्फीति घटकर 0.27% पर पहुंचा

WPI Inflation: गेंहू, चावल, प्याज के साथ दालों के निर्यात पर रोक लगाकर लोकल बाजार में उपलब्धता बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. इसका असर जनवरी के महीने में देखने को मिला. थोक मुद्रास्फीति जनवरी में घटकर 0.27 प्रतिशत पर आ गई.

WPI Inflation: केंद्र सरकार के द्वारा लगातार महंगाई को काबू में करने की कोशिश की जा रही है. गेंहू, चावल, प्याज के साथ दालों के निर्यात पर रोक लगाकर लोकल बाजार में उपलब्धता बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. इसका असर जनवरी के महीने में देखने को मिला. थोक मुद्रास्फीति जनवरी में घटकर 0.27 प्रतिशत पर आ गई. खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी इसकी प्रमुख वजह रही. दिसंबर 2023 में यह 0.73 प्रतिशत थी.

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साल 2024 में क्या था महंगाई का हाल

थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल से अक्टूबर तक लगातार शून्य से नीचे बनी हुई थी. नवंबर में यह 0.39 प्रतिशत दर्ज की गई थी. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा कि थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति जनवरी में लिए 0.27 प्रतिशत (अस्थायी) रही. थोक मुद्रास्फीति जनवरी 2023 में 4.8 प्रतिशत थी. आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2024 में खाद्य सामग्री की महंगाई दर 6.85 प्रतिशत रही जो दिसंबर 2023 में 9.38 प्रतिशत थी. जनवरी में सब्जियों की महंगाई दर 19.71 प्रतिशत, जो दिसंबर 2023 में 26.3 प्रतिशत रही थी. जनवरी में दालों में थोक मुद्रास्फीति 16.06 प्रतिशत थी, जबकि फलों में यह 1.01 प्रतिशत रही.

दिसंबर में बढ़ गयी थी महंगाई

थोक मुद्रास्फीति दिसंबर में बढ़कर 0.73 प्रतिशत हो गई. खाद्य पदार्थों, खासकर सब्जियों तथा दालों की कीमतों में तेज उछाल से इसमें बढ़ोतरी हुई. थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल से अक्टूबर तक लगातार शून्य से नीचे बनी हुई थी. नवंबर में यह 0.26 प्रतिशत थी. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी एक बयान के अनुसार, वस्तुओं, मशीनरी तथा उपकरण, विनिर्माण, परिवहन अन्य उपकरण तथा कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक तथा ऑप्टिकल उत्पादों आदि की कीमतों में वृद्धि दिसंबर 2023 में थोक मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी का कारण रही.

आरबीआई जोखिमों को भी चिह्नित किया

केंद्रीय बैंक आम चुनाव के बाद अपनी नीतिगत दर और नकदी रणनीतियों पर निर्णय लेने के लिए नई सरकार के कामकाज पर नजर रखेगा. आरबीआई गवर्नर ने वित्तीय प्रणाली में जोखिमों को भी चिह्नित किया है. और इसे दूर करने के लिए मई, 2023 से बैंक के निदेशक मंडलों और उनके प्रबंधन के साथ बैठकें शुरू कीं. उन्होंने कहा था कि केंद्रीय बैंक के समय-समय पर निरीक्षण से कॉरपोरेट संचालन, मुनाफा बढ़ाने के लिए स्मार्ट अकाउंटिंग गतिविधियों और पुराने कर्ज को लौटाने के लिए नये कर्ज (लोन एवरग्रिनिंग) के स्तर पर खामियों का पता चला.

(भाषा इनपुट के साथ)

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