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Year Ender 2022: आर्थिक मोर्चे पर भारत के मजबूत कदम, कर संग्रहण से लेकर मैन्युफैक्चरिंग तक कैसा रहा साल

Year Ender 2022: सरकार की नीतियों एवं दूरदर्शिता से भारत के लिए यह साल आर्थिक मोर्चे पर सफलता का साल रहा. इस साल भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उपलब्धि हासिल की.

Year Ender 2022: कोरोना महामारी के बाद उपजी आर्थिक चुनौतियों से उबरने की कोशिशों के बीच देश ने वर्ष 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते अर्थव्यवथा के समाने आ खड़े हुए आकस्मिक संकट का भी सामना किया. बावजूद इसके सरकार की नीतियों एवं दूरदर्शिता से भारत के लिए यह साल आर्थिक मोर्चे पर सफलता का साल रहा. इस साल भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उपलब्धि हासिल की. जानें, कर संग्रहण से लेकर मैन्युफैक्चरिंग तक वर्ष 2022 में कैसी रही देश की आर्थिकी…

वैश्विक अर्थव्यवस्था को 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध, कच्चे तेल में उछाल और कोविड-19 प्रभाव के कारण अनिश्चितता का सामना करना पड़ा. इन परिवर्तनों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था ने लचीलापन दिखाया है. वर्ष 2022 में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि के साथ मुद्रास्फीति में भी दिसंबर, 2022 तिमाही में नरमी देखी गयी. विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत के जीडीपी वृद्धि अनुमान में संशोधन कर उसे बढ़ा दिया है. यह अनुमान 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.9 प्रतिशत हो गया है.

2022 के दौरान भारत में आर्थिक विकास

इस वर्ष पहली तिमाही (अप्रैल-जून, 2022) में अर्थव्यवस्था 13.5 प्रतिशत बढ़ी. यह साल की सबसे तेज वृद्धि थी. वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में जीडीपी में 4.1 फीसदी, तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर) में 5.4 फीसदी और दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 8.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी थी. जून, 2022 की तिमाही में दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं-अमेरिका व ब्रिटेन-में संकुचन देखा गया. सितंबर, 2022 तिमाही में भी भारत की जीडीपी 6.3 फीसदी बढ़ी थी. इस माह की शुरुआत में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, वैश्विक आर्थिक संकट के बीच और अस्थिर वैश्विक माहौल के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार लचीली बनी हुई है. संकट से पहले की तुलना में बैंक और कॉरपोरेट अधिक स्वस्थ हैं. पिछले आठ महीनों से बैंक ऋण दो अंकों में बढ़ रहा है एवं दुनिया में भारत को व्यापक रूप से आशापूर्ण स्थान के रूप में देखा जा रहा है.

मुद्रास्फीति की चुनौती

वर्ष 2022 के शुरुआती महीनों में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुईं आपूर्ति बाधाओं से मुद्रास्फीति की गति में वृद्धि देखी गयी, जो अप्रैल में 7.79 प्रतिशत के उच्च स्तर पर पहुंच गयी. बीते आठ वर्षों में यह सबसे अधिक उछाल था. खुदरा मुद्रास्फीति मई में 7.04 प्रतिशत, जून में 7.01 प्रतिशत, जुलाई में 6.71 प्रतिशत और अगस्त में 7 प्रतिशत रही. सितंबर में महंगाई दर पांच महीने के उच्चतम स्तर 7.41 फीसदी पर पहुंच गयी. हालांकि, अक्तूबर में खुदरा मुद्रास्फीति तीन महीने के निचले स्तर 6.77 प्रतिशत पर आ गयी. नवंबर में भी मुद्रास्फीति में गिरावट देखी गयी और यह 11 महीने के निचले स्तर 5.88 प्रतिशत पर आ गयी, जिसमें खाद्य कीमतों में तेज गिरावट देखी गयी.

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डिजिटल रुपी का पायलट प्रोजेक्ट

इस वर्ष नवंबर-दिसंबर में रिजर्व बैंक ने होलसेल व रिटेल सेगमेंट के लिए डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया. डिजिटल रुपी एक वैध मुद्रा है, जिसे रिजर्व बैंक ने डिजिटल स्वरूप में जारी किया है. इस मुद्रा का मूल्य मौजूदा कागजी मुद्रा के समान ही होगा. डिजिटल रुपी के अनेक लाभ हैं. इससे न केवल नकदी पर निर्भरता कम होगी, बल्कि यह कहीं अधिक मजबूत, कुशल, विश्वसनीय, विनियमित और वैध भुगतान का विकल्प तैयार करेगी. इससे नकली करेंसी की समस्या से छुटकारा मिलेगा. इस रुपी को बैंक मनी और नकदी में आसानी से बदलवाया भी जा सकेगा.

यूनिकॉर्न क्लब में दूसरे पायदान पर भारत

हुरून इंडिया ग्लोबल यूनिकॉर्न इंडेक्स 2022 की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2022 की पहली छमाही में यूनिकॉर्न स्टार्टअप के मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है. पहली छमाही में पूरी दुनिया में 254 नये यूनिकॉर्न बने. अमेरिका ने कुल 138 नये यूनिकॉर्न जोड़े, जो सबसे ज्यादा है. इस दौरान भारत में 14 यूनिकॉर्न बने, वहीं चीन में यह आंकड़ा 11 रहा. भारत में इन यूनिकॉर्न की संख्या शतक पार कर चुका है. पिछले साल देश को 44 यूनिकॉर्न मिले थे और इस साल सितंबर तक 22 यूनिकॉर्न मिल चुके हैं. भारत में सितंबर, 2022 तक यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या बढ़कर 107 हो गयी है.

मोबाइल फोन निर्यात में दोगुना इजाफा

भारत ने बीते पांच वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के क्षेत्र में तेज प्रगति की है. मोबाइल फोन का उत्पादन 2014-15 में लगभग छह करोड़ से बढ़कर 2021-22 में लगभग 31 करोड़ हो गया है. मोबाइल फोन के निर्यात में यह बड़ी वृद्धि है. भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में 45 हजार करोड़ रुपये के मोबाइल फोन का निर्यात किया और चालू वर्ष के दौरान नवंबर, 2022 तक यह निर्यात पहले ही 40 हजार करोड़ रुपये को पार कर चुका है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान किये गये निर्यात के दोगुने से भी अधिक है.

कम मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट में नंबर वन

सबसे कम मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट वाले देशों की सूची में भारत दुनिया में पहले स्थान पर पहुंच गया है. चीन और वियतनाम दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं, जबकि पड़ोसी बांग्लादेश छठे स्थान पर है. यूएस न्यूज एंड वर्ल्ड की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, सबसे सस्ते और कम लागत से सामान बनाने वाले देशों के स्कोर में भारत ने 100 में से 100 अंक हासिल किये हैं. रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर से कंपनियां कम लागत के साथ भरोसेमंद मैन्युफैक्चरर के तौर पर भारत की ओर रुख कर रही हैं. पहले सस्ती मैन्युफैक्चरिंग के लिए दुनिया भर के देशों की पहली पसंद चीन और वियतनाम थे.

पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना भारत

एक दशक पहले भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व में 11वें स्थान पर थी और ब्रिटेन पांचवें स्थान पर था. मुद्रा कोष के अनुसार अब अमेरिका, चीन, जापान, और जर्मनी के बाद भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. इस साल भारत पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की राह पर आगे निकल गया है. अर्थशास्त्रियों के अनुसार मौजूदा आर्थिक विकास दर के हिसाब से भारत 2027 में जर्मनी को पीछे छोड़ दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगा एवं 2029 में जापान को पीछे छोड़ दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बन जायेगा.

जीएसटी कलेक्शन में बना रिकॉर्ड

इस साल अप्रैल में जीएसटी ने सबसे ज्यादा संग्रहण का रिकॉर्ड बनाया था. तब सरकार को जीएसटी के रूप में 1.68 लाख करोड़ रुपये मिले थे. सितंबर लगातार सातवां महीना रहा, जब जीएसटी कलेक्शन 1.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा. अगस्त, 2022 में जीएसटी कलेक्शन 1.44 लाख करोड़ रुपये रहा था. यह संग्रहण उस वक्त बढ़ रहा है, जब रिजर्व बैंक बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए लगातार रेपो रेट में इजाफा कर रहा है. रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की है. मई से लेकर अब तक रिजर्व बैंक 1.90 फीसदी रेपो रेट बढ़ा चुका है.

शेयर बाजार में रहा उतार-चढ़ाव

वर्ष 2022 भारतीय शेयर बाजार के लिए काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा. खास तौर से निवेशकों के लिए काफी कठिन रहा. कई शेयरों ने निवेशकों को मुनाफा दिया, तो कई नामी शेयरों में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा. रूस-यूक्रेन युद्ध, मंदी एवं महंगाई की आहट के चलते बाजार में कई बार बड़ी गिरावट देखने को मिली.

  • इस साल 24 फरवरी सेंसेक्स के लिए सबसे खराब दिन रहा, जब रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद सेंसेक्स 2,702 अंक टूट गया था. 23 दिसंबर, 2022 को भी शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखी गयी. इस कारोबारी सत्र के दौरान सेंसेक्स में 1000 अंक से अधिक की गिरावट रही.

  • साल 2022 में कई शेयरों ने नाम बड़े और दर्शन छोटे कहावत को चरितार्थ करते हुए निवेशकों को काफी निराश किया. इनमें देश का दूसरा सबसे बड़ा आइपीओ लानेवाली पेटीएम, एलआइसी, नाइका, जोमैटो, पॉलिसी बाजार शामिल रहीं. देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी एलआइसी ने इस साल अब तक का सबसे बड़ा आइपीओ पेश किया. 21,000 करोड़ रुपये के आईपीओ के लिए कंपनी ने 902-949 रुपये का प्राइस बैंड तय किया था. लिस्टिंग के बाद एलआइसी बीएसई की पांचवीं सबसे बड़ी कंपनी बनी थी. लेकिन शेयर बाजार में लिस्टिंग के पहले ही दिन एलआइसी के शेयर में 13 फीसदी की गिरावट दिखी और यह लंबे समय तक जारी रही. अब थोड़ी रिकवरी दिख रही है.

  • जिन स्टॉक्स ने निवेशकों को मालामाल किया, उनमें अडानी समूह के शेयर खासतौर पर शामिल रहे. अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी इंटरप्राइजेज का शेयर एक साल पहले 1,630 रुपये पर ट्रेड कर रहा था. यह शेयर अब 4,036 रुपये पर ट्रेड कर रहा है. ऐसे में इसने एक साल में 148 फीसदी का रिटर्न दिया. इसके साथ अडानी टोटल गैस, अडानी पावर, अडानी विल्मर ने ग्राहकों का अच्छा रिटर्न दिया. इनके अलावा एल्गी इक्विपमेंट्स लिमिटेड, रेणुका शुगर्स, कोल इंडिया, आइटीसी ने भी निवेशकों को मुनाफा दिया.

देश का टैक्स कलेक्शन 13.63 लाख
करोड़ रुपये पहुंचा

  • वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 में प्रत्यक्ष करों के सकल संग्रह में 25.90 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी, जो कि 13,63,649 करोड़ रुपये है. इसी अवधि में पिछले वित्त वर्ष 2021-22 प्रत्यक्ष करों का सकल संग्रह 10,83,150 करोड़ रुपये था.

  • वर्ष 2022-23 के लिए शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 19.81 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 11,35,754 करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले वित्त वर्ष यानी वित्त वर्ष 2021-22 की इसी अवधि में शुद्ध संग्रह 9,47,959 करोड़ रुपये का हुआ था, जो 19.81 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है.

  • सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान दाखिल किये गये आयकर रिटर्न में 96.5 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की और लगभग 109 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2,27,896 करोड़ रुपये के रिफंड जारी किये.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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