Maglev train scheme : अगर कोई आपसे कहे कि आप दिल्ली से चंडीगढ़ केवल आधे घंटे में पहुंच जाएंगे वो भी ट्रेन के जरिए, तो आप जरूर चौकेंगे और उल्टा यह बात कहने वाले को ही आप खरी-खोटी सुना देंगे. लेकिन, दिल्ली से चंडीगढ़ का सफर करने वालों के लिए यह सपना जल्द ही साकार होने जा रहा है. मुंबई से अहमदाबाद तक के लिए बुलेट ट्रेन चलाने की योजना को अमलीजामा पहनाने में जुटी मोदी सरकार अब दिल्ली से चंडीगढ़ की यात्रा को सुगम बनाने के लिए मोदी सरकार ने मैग्लेव ट्रेन को चलाने की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं.
सरकारी कंपनी भेल ने स्विस रैपिड एजी के साथ की साझेदारी
दरअसल, दिल्ली से चंडीगढ़ यात्रा को आसान बनाने के लिए सरकारी कंपनी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) ने स्विस रैपिड एजी के साथ साझेदारी की है. बीएचईएल ने इसकी जानकारी दी है. मैग्लेव दो शब्द मैग्नेटिक लेवीटेशन से मिलकर बना है, जिसका अर्थ चुंबकीय शक्ति से ट्रेन को हवा में ऊपर उठाकर चलाना होता है.
पीपीपी के जरिए चलाई जाएगी मैग्लेव ट्रेन
मैग्नेटिक लेवीटेशन के जरिए ट्रेन चलाने के लिए रेल मंत्रालय ने पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए मैग्लेव ट्रेन सिस्टम की योजना बनाई है. मैग्लेव ट्रेन पटरी पर दौड़ने के बजाय हवा में रहती है. ट्रेन को मैग्नेटिक फील्ड की मदद से कंट्रोल किया जाता है. इसलिए उसका पटरी से कोई सीधा संपर्क नहीं होता. इस वजह से इसमें ऊर्जा की बहुत कम खपत होती है और यह आसानी से 500-800 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकती है.
देश के चार रूटों पर चलाई जाएगी मैग्लेव ट्रेन
सूत्रों के मुताबिक मोदी सरकार बंगलुरु-चेन्नई, हैदराबाद-चेन्नई, दिल्ली-चंडीगढ़ और नागपुर-मुंबई के बीच मैग्लेव ट्रेन चलाने की योजना बना रही है. दुनियाभर में मैग्लेव ट्रेन की तकनीक चुनिंदा देशों के पास ही है. ये देश जर्मनी, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और यूएसए हैं. चीन में शंघाई शहर से शंघाई एयरपोर्ट के बीच मैग्लेव ट्रेन चलती है और ये ट्रैक महज 38 किलोमीटर का है.
कई देशों ने मैग्लेव ट्रेन चलाने का देखा सपना
मैग्लेव तकनीक से ट्रेन चलाने का सपना जर्मनी, यूके और यूएसए जैसे कई देशों ने देखा, लेकिन तकनीकी कुशलता के बावजूद इसकी लागत और बिजली की खपत को देखते हुए ये सफल नहीं रही. दुनियाभर में कॉमर्शियल तरीके से ये सिर्फ और सिर्फ तीन देशों चीन, दक्षिण कोरिया और जापान में ही चल रही है.
भारत में होगा मैग्लेव ट्रेनों का निर्माण
भेल ने कहा कि यह समझौता पीएम मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को ध्यान में रखकर किया गया है. इस समझौते के बाद अब बीएचईएल स्विस रैपिड एजी के साथ मिल कर इस पर काम करेगी. इससे बीएचईएल दुनिया की अत्याधुनिक इंटरनेशनल टेक्नोलॉजी को भारत लाने में मदद मिलेगी और वह भारत में मैग्लेव ट्रेनों का निर्माण करेगी. बीएचईएल पिछले करीब 50 वर्षों से रेलवे के विकास में साझेदार है. कंपनी ने रेलवे को इलेक्ट्रिक और डीजल लोकोमोटिव की आपूर्ति की है.
Posted By : Vishwat Sen
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