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ZEE-Sony Merger कैंसिल होने की खबर से टूटा स्टॉक, दांव पर लगा सोनी के 4 लाख शेयरहोल्डर्स का भविष्य

ZEE-Sony Merger: जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड के शेयर करीब 10.18 प्रतिशत टूटकर 249.80 रुपये पर आ गया था. पिछले एक महीने में कंपनी के शेयर में 10.32 प्रतिशत की गिरावट आयी है.

ZEE-Sony Merger: जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) और कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट (सोनी पिक्चर्स इंडिया) का विलय कैंसिल हो सकता है. न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, सोनी एक हजार डॉलर की मर्जर डील को वापस ले सकता है. हालांकि, सोनी और जी दोनों की तरफ से डील पर कोई जानकारी नहीं दी गयी है. इस खबर के बाद, मंगलवार को जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड के शेयर करीब 10.18 प्रतिशत टूटकर 249.80 रुपये पर आ गया था. पिछले एक महीने में कंपनी के शेयर में 10.32 प्रतिशत की गिरावट आयी है. हालांकि, पिछले छह महीने में शेयर से निवेशकों को 27.25 प्रतिशत का मुनाफा मिला है. बता दें कि एक्सिस फाइनेंस और आईडीबीआई बैंक दोनों के मर्जर के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLT) में शिकायत की थी. हालांकि, ट्रिब्यूनल ने दोनों कंपनियों के विलय पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. विलय का फैसला कैंसिल करने के पीछे डील में लेट होना बताया जा रहा है. ये मामला दो साल से फंसा हुआ है. ये मर्जर 10 बिलियन डॉलर के आसपास का बताया जाता है.

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विलय योजना पर 2021 में हुआ था समझौता

Sony और ZEEL के बीच विलय के लिए समझौता 2021 के दिसंबर में हुआ था. नयी बनने वाली जाइंट मीडिया हाउस में सोनी की अप्रत्यक्ष रूप से सबसे ज्यादा 50.86 प्रतिशत की हिस्सेदारी होगी. जबकि, जी के फाउंडर्स की कंपनी में 3.99 प्रतिशत की हिस्सेदारी होगी. वहीं, जी के शेयरधारकों की 45.15 प्रतिशत की हिस्सेदारी होगी. 2021 में दोनों कंपनियों की विलय प्रक्रिया पूरी होने में 8 से 10 महीने का वक्त लगने की उम्मीद की जा रही थी. हालांकि, कई कारणों से तय वक्त में विलय नहीं हो सका. इसकी वजह यह है कि जी को कर्ज देने वाले कई बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने इस विलय के खिलाफ याचिका दाखिल कर दी.

कैसे एक कंपनी दूसरे कंपनी से मर्ज होती है

कंपनी एक दूसरी कंपनी का अधिग्रहण (मर्जर और अक्कर्ता) करने के लिए दोनों कंपनियों में पहले वार्ता होती है. अधिग्रहण की योजना बनाने के लिए दोनों कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स एक समझौते पर सहमत होते हैं. इसमें अधिग्रहण के विवरण, समयसीमा, सम्पत्ति का मूल्यांकन, स्टॉक मुद्रा आदि का समायोजन होता है. एक बार योजना बनने और समझौते के बाद, नौबत (फॉर्म 23C और फॉर्म 1 नौबत) जारी किया जाता है. इसमें अधिग्रहण की प्रक्रिया और विवरण शामिल होते हैं. नौबत जारी करने के बाद, उसे सर्वोच्च न्यायालय या नौबत स्वीकृति अधिकारी को प्रस्तुत किया जाता है. स्वीकृति प्राप्त करने के बाद, योजना के मुताबिक अधिग्रहण का कार्यान्वयन शुरू किया जाता है. इसमें एक कंपनी दूसरी कंपनी के सम्पत्ति, स्टॉक, और सम्पत्ति का नियंत्रण प्राप्त करती है. अधिग्रहण के बाद, दोनों कंपनियों के विभिन्न प्रक्रिया, उत्पादन, वित्त, और प्रबंधन की प्रणालियों को एकीकृत किया जाता है. विभिन्न विभाजित संरचना को एक समेकित और संगठित संरचना में बदला जाता है.

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