Bank Account: बैंक खाता आज के वक्त में काफी जरूरी हो गया है. सरकार के द्वारा भी लोगों को बैंक खाता खोलने और बचत के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं चलायी रही है. सरकार के द्वारा जरूरतमंदों का आर्थिक राहत सीधे उनके खाते में दिया जा रहा है. किसान सम्मान निधि से लेकर आवास योजना और पेंशन स्कीम तक के लाभुकों का पैसा सीधे बैंक खाते में भेजा जा रहा है. हालांकि, कई बार आप जब बैंक खाता खोलने जाते हैं तो ये परेशानी होती है कि कौन सा खाता खोलें. सेविंग अकाउंट (Saving Account), सैलरी अकाउंट या करंट अकाउंट (Current Account) में से क्या खोले. वहीं, कई बार बैंकों के द्वारा ग्राहकों को जीरो बैलेंस खाता खोलने का भी विकल्प दिया है. ऐसे में हम आपकी मदद करते हैं.
जीरो बैलेंस खाता क्या होता है
जीरो बैलेंस खाता एक ऐसा बैंक खाता है जिसमें न्यूनतम बैलेंस रखने की आवश्यकता नहीं होती है. अक्सर बैंकों द्वारा खाता खोलने और इस्तेमाल करने के लिए एक न्यूनतम बैलेंस की आवश्यकता होती है, लेकिन जीरो बैलेंस खाता उस आवश्यकता को उठाता है. जीरो बैलेंस खाते का उद्देश्य अकाउंट धारकों को एक स्थिति में बैलेंस रखने की जरूरत नहीं होती है, ताकि उन्हें स्वतंत्रता मिले और वित्तीय लेन-देन कर सकें. यह उन लोगों के लिए उपयुक्त हो सकता है जिनके पास वित्तीय रूप से स्थिरता नहीं हो और उन्हें न्यूनतम बैलेंस की आवश्यकता नहीं है. इस तरह के खातों की विशेषता यह है कि वे आमतौर पर व्यक्तिगत खाते होते हैं जिन्हें व्यक्तिगत वित्त जरुरतों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
सेविंग खाता क्या होता है
सेविंग खाता एक प्रकार का बैंक खाता होता है जो व्यक्तिगत वित्तीय लेन-देन के लिए उपयुक्त होता है. इस खाते में व्यक्ति अपनी कमाई जमा कर सकता है और उसकी आवश्यकताओं के लिए राशि निकाल सकता है. सेविंग खातों का उद्देश्य व्यक्तिगत वित्तीय रूप से स्थिरता और निगमन को बढ़ाना है. इन खातों पर बैंक द्वारा ब्याज दिया जाता है, लेकिन यह ब्याज आमतौर पर अन्य निवेश विकल्पों से कम होता है. इसके बावजूद, सेविंग खाते आमतौर पर सुरक्षित और उपयुक्त होते हैं, विशेष रूप से निर्धारित वित्तीय लेन-देन के लिए. सेविंग खातों का उपयोग धन जमा करने, धन निकालने, चेक लेने, इंटरनेट बैंकिंग, इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर आदि के लिए किया जाता है.
सैलरी खाता क्या होता है
सैलरी खाता वह विशेष प्रकार का बैंक खाता होता है जिसे व्यक्ति या व्यापारी अपनी सैलरी या वेतन के लिए खोलता है. यह खाता उसके वेतन जमा करने के लिए उपयुक्त होता है और आमतौर पर नियुक्ति या रोजगार संबंधी स्थितियों के साथ जुड़ा होता है. सैलरी खाते का एक मुख्य उद्देश्य है कि उसमें केवल व्यक्ति की वेतन या सैलरी जमा की जा सकती है, और उसे निर्धारित समय पर निकाली जा सकती है. इससे वेतन जमा और निकासी प्रक्रिया सरल बन जाती है और व्यक्ति को वित्तीय निर्णय लेने में सहायता होती है. सैलरी खातों का उपयोग आमतौर पर व्यक्तिगत व्यय, बिल भुगतान, ईमानदारी व्यय और निवेशों के लिए किया जाता है. यह खाता वेतन जमा और निकासी के लिए सुरक्षित और संरचित रूप से प्रबंधित करने में मदद करता है.
करेंट खाता क्या होता है
करेंट खाता एक प्रकार का बैंक खाता है जिसका उद्देश्य व्यक्तियों, व्यापारियों और संगठनों को वित्तीय लेन-देन के लिए सुविधा प्रदान करना है. यह खाता व्यक्तिगत वित्तीय लेन-देन को प्रबंधित करने के लिए होता है, जो अक्सर रोजगार, व्यापार या व्यवसायिक गतिविधियों के लिए उपयुक्त होता है. करेंट खाता अक्सर निर्धारित व्यक्तिगत वित्तीय लेन-देन के लिए उपयुक्त होता है. यह खाता नकद परियोजनाएं, चेक लेने, इंटरनेट बैंकिंग और इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर आदि के लिए उपयुक्त होता है. इन खातों पर आमतौर पर ब्याज नहीं दिया जाता है, लेकिन कुछ बैंक उचित शर्तों पर नकद परियोजनाएं अनुमति देते हैं. करेंट खाते धारकों को निवेश और वित्तीय सलाह प्रदान करने में सहायक हो सकते हैं. व्यापारिक संगठन और व्यापारियों के लिए विशेष व्यापारिक करेंट खाते भी उपलब्ध होते हैं, जो उनके व्यवसायिक लेन-देनों को प्रबंधित करने के लिए उपयुक्त होते हैं. करेंट खाते विभिन्न बैंकों द्वारा प्रदान किया जाता है और यह व्यक्ति की आवश्यकताओं और वित्तीय उद्देश्यों के आधार पर विभिन्न रूपों में होता है.
सेविंग खाता और जीरो बैलेंस खाता में क्या है अंतर
सेविंग खाता आमतौर पर व्यक्तिगत वित्तीय उद्देश्यों के लिए और वित्तीय स्थिति को स्थिर रखने के लिए है, जबकि जीरो बैलेंस खाता उन व्यक्तियों के लिए उपयुक्त है जिनके पास वित्तीय रूप से स्थिरता नहीं है और उन्हें न्यूनतम बैलेंस की आवश्यकता नहीं है. सेविंग खाता और जीरो बैलेंस खाता दो विभिन्न प्रकार के बैंक खाते होते हैं, और उनके बीच कुछ महत्वपूर्ण विभिन्नताएँ हो सकती हैं. यहाँ वे मुख्य विभिन्नताएं हैं:
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न्यूनतम बैलेंस:
सेविंग खाता: इसमें न्यूनतम बैलेंस रखने की आवश्यकता होती है, जो बैंक से बैंक अलग हो सकती है. यह न्यूनतम बैलेंस राशि व्यक्ति या व्यवसाय की वित्तीय स्थिति के आधार पर निर्धारित होती है.
जीरो बैलेंस खाता: जैसा कि नाम से ही प्रतित होता है, इसमें कोई न्यूनतम बैलेंस जरुरी नहीं है. व्यक्ति इस खाते को बिना बैलेंस रखे भी खोल सकता है.
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ब्याज और लाभ:
सेविंग खाता: सेविंग खातों पर बैंक अक्सर निर्धारित ब्याज देते हैं, जो व्यक्ति की जमा की राशि पर मिलता है. यह ब्याज अक्सर अन्य निवेश विकल्पों से कम होता है.
जीरो बैलेंस खाता: इसमें ब्याज की उपलब्धता नहीं होती है और यह आमतौर पर निर्धारित वित्तीय उद्देश्यों के लिए होता है.
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वित्तीय लेन-देन:
सेविंग खाता: सेविंग खाते से व्यक्ति आमतौर पर नकद परियोजनाएँ, चेक लेने, इंटरनेट बैंकिंग, इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर आदि कर सकता है.
जीरो बैलेंस खाता: इसमें नकद परियोजनाएँ या चेक बॉक्स उपयोग करने की सुविधा नहीं होती है, लेकिन इसके माध्यम से भुगतान और लेन-देन करना विभिन्न तरीकों से संभव होता है.
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वित्तीय निवेश:
सेविंग खाता: यह खाता अक्सर निर्धारित वित्तीय निवेश नहीं करता है.
जीरो बैलेंस खाता: इसके अंतर्गत विभिन्न वित्तीय निवेश विकल्प उपलब्ध हो सकते हैं.
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