Zerodha: देश की प्रमुख ब्रोकरेज कंपनियों में से एक, जीरोधा (Zerodha) के अनुसार, इंडेक्स डेरिवेटिव्स के लिए प्रस्तावित रेगुलेटरी फ्रेमवर्क से कंपनी के राजस्व में 30-50 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है. जीरोधा के को-फाउंडर और सीईओ नितिन कामत ने अपने ब्लॉग में बताया कि वह इस साल कंपनी के राजस्व में बड़े झटके के लिए तैयार हैं और इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण भी गिनाए. नितिन ने बताया कि सेबी का ट्रू-टू-लेबल सर्कुलर 1 अक्टूबर 2024 से लागू हो जाएगा, जबकि इंडेक्स डेरिवेटिव्स फ्रेमवर्क अगले कुछ महीनों में किसी भी समय आ सकता है. जीरोधा का एक बड़ा राजस्व हिस्सा इंडेक्स डेरिवेटिव्स से आता है, इसलिए इन नए नियमों के कारण कंपनी की आमदनी पर गंभीर असर पड़ सकता है.
SEBI का True-to-Label निर्देश क्या है? (What is SEBI True-to-Label guideline)
भारतीय बाजार नियामक, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने 1 जुलाई को “ट्रू-टू-लेबल” निर्देश जारी किया था, जो 1 अक्टूबर से प्रभावी हो गया है. इस नए नियम के तहत, स्टॉक एक्सचेंजों को सभी ट्रेडिंग मेंबर्स से समान शुल्क लेना होगा, और वे ट्रेडिंग वॉल्यूम या गतिविधि के आधार पर छूट नहीं दे पाएंगे. वर्तमान में, ब्रोकर्स एक्सचेंजों से मिलने वाली छूट और ग्राहकों से वसूली गई राशि के बीच के अंतर से भारी मुनाफा कमाते हैं. जीरोधा का अनुमान है कि इन नए ट्रू-टू-लेबल निर्देशों के कारण कंपनी के राजस्व में 10 प्रतिशत तक की गिरावट हो सकती है.
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Zerodha किन बातों से परेशान? (What are things bothering Zerodha
जीरोधा के अनुसार, SEBI के ट्रू-टू-लेबल सर्कुलर से कंपनी के राजस्व को 10 प्रतिशत तक का झटका लग सकता है. इसके अलावा, कुछ अन्य कारण भी हैं जिनकी वजह से जीरोधा ने राजस्व में गिरावट की आशंका जताई है. इनमें एक प्रमुख कारण इंडेक्स डेरिवेटिव फ्रेमवर्क है. हालांकि, इस पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन नितिन कामत का मानना है कि SEBI इसे जल्द ही अंतिम रूप देगी. SEBI ने 30 जुलाई को एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया था, जिसमें बाजार में स्थिरता लाने और छोटे निवेशकों की सुरक्षा के लिए कई प्रस्ताव दिए गए हैं. इनमें कॉन्ट्रैक्ट साइज को चार गुना बढ़ाना, ऑप्शंस प्रीमियम का पहले से ही वसूलना, और वीकली कॉन्ट्रैक्ट्स की संख्या को कम करना शामिल है.
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इसके अतिरिक्त, जीरोधा ने अपने रेफरल प्रोग्राम से संबंधित कड़े नियमों का भी उल्लेख किया है. कंपनी का कहना है कि इस प्रोग्राम के तहत वे अपने ब्रोकरेज का एक हिस्सा कमीशन के रूप में वितरित करती हैं, लेकिन अब SEBI के नए निर्देशों के कारण उन्हें नुकसान हुआ है. SEBI ने यह नियम बनाया है कि अब इस तरह के ब्रोकरेज को केवल एक्सचेंजों के पास रजिस्टर्ड अधिकृत व्यक्तियों (AP) के माध्यम से ही साझा किया जा सकता है. इसका परिणाम यह होगा कि जिन उपयोगकर्ताओं ने पहले रेफर किया, उनकी संख्या में तेजी से कमी आएगी, जिससे कंपनी की वृद्धि पर भी असर पड़ सकता है.
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ब्रोकरेज के अनुसार, राजस्व को प्रभावित करने वाले अन्य कारकों में अकाउंट खोलने की फीस को समाप्त करना और बेसिक डीमैट अकाउंट (BSDA) के नए सीमा निर्धारण शामिल हैं. ब्रोकरेज को बेसिक डीमैट अकाउंट्स के लिए वार्षिक रखरखाव शुल्क (AMC) लेने की अनुमति नहीं है. पहले इन अकाउंट्स में केवल 4 लाख रुपये तक के सिक्योरिटीज रखने की अनुमति थी, लेकिन अब यह सीमा बढ़कर 10 लाख रुपये हो गई है, जिससे ब्रोकरेज को राजस्व में बड़ा नुकसान हो सकता है.
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