Zomato के सीईओ दीपेंदर गोयल ऐसे नहीं बन गए अरबपति, कभी खुद थे…?

Zomato:काम कोई छोटा या बड़ा नहीं होता—यह बात ज़ोमैटो (Zomato) के सीईओ दीपिंदर गोयल ने खुद फूड डिलीवरी करके साबित की है. गोयल ने यह दिखाया कि वे केवल कंपनी के शीर्ष पर बैठकर निर्देश देने वाले लीडर नहीं हैं, बल्कि अपने कर्मचारियों और डिलीवरी पार्टनर्स के काम को समझने और उसमें सुधार लाने के लिए खुद मैदान में उतर सकते हैं.

By Abhishek Pandey | October 6, 2024 9:57 PM

Zomato: काम कोई छोटा या बड़ा नहीं होता—यह बात जोमैटो (Zomato) के सीईओ दीपिंदर गोयल ने खुद फूड डिलीवरी करके साबित की है. गोयल ने यह दिखाया कि वे केवल कंपनी के शीर्ष पर बैठकर निर्देश देने वाले लीडर नहीं हैं, बल्कि अपने कर्मचारियों और डिलीवरी पार्टनर्स के काम को समझने और उसमें सुधार लाने के लिए खुद मैदान में उतर सकते हैं.

दीपिंदर गोयल का डिलीवरी अनुभव

रविवार, 6 अक्टूबर को दीपिंदर गोयल ने ज़ोमैटो डिलीवरी ब्वॉय की लाल वर्दी पहनकर खुद फूड डिलीवरी की. उन्होंने अपने इस अनुभव को एक वीडियो और ट्वीट के जरिए साझा किया. इस वीडियो में गोयल ने बताया कि कैसे उन्हें डिलीवरी के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा.

अपने ट्वीट में गोयल ने कहा, “मेरे दूसरे ऑर्डर के दौरान, मुझे एहसास हुआ कि हमें अपने सभी डिलीवरी पार्टनर्स के कामकाजी हालात सुधारने के लिए मॉल्स के साथ और भी करीब से काम करने की ज़रूरत है. मॉल्स को भी डिलीवरी पार्टनर्स के प्रति ज्यादा संवेदनशील और मानवीय होना चाहिए.” गोयल ने इस बात को स्पष्ट किया कि डिलीवरी पार्टनर्स को अक्सर वह सम्मान और सुविधाएं नहीं मिलतीं, जो उन्हें मिलनी चाहिए.

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मॉल में नहीं मिली मेन एंट्रेंस से एंट्री

वीडियो में दीपिंदर गोयल ने अपने अनुभवों को विस्तार से बताया. वे गुरुग्राम के एंबियंस मॉल में एक ऑर्डर पिक-अप करने गए थे. लेकिन मॉल के एंट्री गेट पर उन्हें मुख्य प्रवेश द्वार से जाने की अनुमति नहीं दी गई. इसके बजाय, उन्हें सीढ़ियों का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया.

वीडियो में गोयल सीढ़ियों से ऊपर जाते हुए नजर आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें तीसरी मंजिल पर स्थित रेस्टोरेंट तक पहुंचने के लिए लंबी सीढ़ियां चढ़नी पड़ीं. यह वही अनुभव है जो ज़ोमैटो के हर डिलीवरी पार्टनर को रोज़ाना करना पड़ता है.

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इसके बाद, गोयल अन्य डिलीवरी पार्टनर्स के साथ मॉल के अंदर फर्श पर बैठकर बातचीत करते हुए भी दिखाई दिए. उन्होंने इस अनुभव को साझा करते हुए कहा कि यह बेहद अहम है कि कंपनी के उच्च अधिकारी अपने कर्मचारियों के काम की वास्तविकता को समझें और उनके लिए बेहतर कामकाजी हालात बनाने के लिए कार्य करें.

गोयल का डिलीवरी ब्वॉय बनने का संदेश

दीपिंदर गोयल का खुद डिलीवरी करने का यह कदम केवल एक प्रतीकात्मक इशारा नहीं था. यह एक स्पष्ट संदेश था कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता. उन्होंने दिखाया कि काम की जमीनी हकीकत को समझना जरूरी है, ताकि कंपनी अपने कर्मचारियों और डिलीवरी पार्टनर्स के लिए बेहतर नीतियां और सुविधाएं लागू कर सके.

गोयल का यह कदम भी यह संकेत देता है कि ज़ोमैटो अपने डिलीवरी पार्टनर्स की समस्याओं और चुनौतियों को समझने के लिए प्रतिबद्ध है. कंपनी का उद्देश्य केवल ग्राहकों को संतुष्ट करना नहीं है, बल्कि उन लोगों की भी देखभाल करना है, जो कंपनी के लिए मेहनत करते हैं.

गुरुग्राम के दूसरे सबसे अमीर शख्स दीपिंदर गोयल

हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2024 के अनुसार, दीपिंदर गोयल गुरुग्राम के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक हैं. वे गुरुग्राम के 23 सबसे धनी व्यक्तियों में शामिल हैं, जिनकी कुल संपत्ति 1,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक है. गोयल की व्यक्तिगत संपत्ति 9,300 करोड़ रुपये है, जिससे वे गुरुग्राम के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति हैं.

एक तरफ जहां गोयल की संपत्ति इतनी अधिक है, वहीं दूसरी तरफ उनका खुद डिलीवरी करना दिखाता है कि वे अपनी जड़ों को नहीं भूले हैं. उन्होंने यह भी बताया कि चाहे आप किसी भी ऊंचाई पर पहुंच जाएं, काम की अहमियत और उसके सम्मान को समझना बेहद जरूरी है.

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काम कोई छोटा या बड़ा नहीं होता

दीपिंदर गोयल का खुद डिलीवरी करना एक बेहद प्रेरणादायक कदम है. इससे न केवल उन्होंने अपने डिलीवरी पार्टनर्स की स्थिति को समझने की कोशिश की, बल्कि यह भी दिखाया कि एक अच्छा लीडर वही होता है, जो अपने कर्मचारियों के साथ काम करने को तैयार हो.

काम कोई छोटा या बड़ा नहीं होता, यह सिद्धांत केवल कहने भर का नहीं है, बल्कि इसे अमल में लाना भी जरूरी है. गोयल का यह कदम दर्शाता है कि एक अच्छे लीडर को हमेशा अपनी टीम के साथ खड़ा होना चाहिए, चाहे वह कितना भी बड़ा या सफल क्यों न हो.यह घटना हमें यह भी सिखाती है कि हर व्यक्ति के काम का सम्मान करना चाहिए, चाहे वह किसी भी स्थिति में क्यों न हो.

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