बक्सर जिले में सोमवार को कोरोना से मरने वालों की संख्या मात्र तीन रही. मगर बक्सर के चरित्रवन स्थित श्मशान घाट पर खबर लिखे जाने तक 60 चिताएं जलायी जा चुकी थीं. शवों के आने का सिलसिला जारी था. यह आंकड़ा केवल बक्सर शहर स्थित श्मशान घाट का है. जबकि इसके अलावा चौसा, बयासी घाट समेत अन्य जगहों पर भी गंगा नदी किनारे लाश दफनाया जाता है.
वैसे में अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि इन सभी लोगों की मौत को सामान्य माना जाये या इनमें कुछ वैसे लोग भी हैं जिनमें कोरोना के लक्षण हो सकते थे जैसे- सर्दी, जुखाम व बुखार. खैर यह तो जांच का विषय है. मगर एक बात तो साफ है कि मरने वालों की तादाद बढ़ी है.
चरित्रवन स्थित श्मशान घाट के सूत्रों की माने तो यहां आने वाले शवों की संख्या 7 मई से 100 तक पहुंच गया था. शव को जलाने के लिए लोगों को श्मशान घाट में इंतजार करने के साथ ही जगह ढूंढना पड़ता था. लेकिन फिलहाल स्थिति कुछ सुधरी है. अब लोगों को पहले की अपेक्षा कम इंतजार करना पड़ रहा है. लगने वाली अप्रत्याशित भीड़ भी अपेक्षाकृत कम हुई है.
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10 मई को 6:00 बजे संध्या तक श्मशान घाट पर अंत्येष्टि के लिए आए शवों की संख्या 60 दर्ज की गई. बता दें कि 7 मई से पूर्व प्रतिदिन 160 तक मरने वालों की संख्या भी प्रतिदिन श्मशान घाट पर रजिस्टर्ड किया गया है. जिनका श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया गया है. वही घाटों पर किसी तरह की अव्यवस्था नहीं हो इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर भी तैयारी की गई है. मजिस्ट्रेट की भी नियुक्ति की गई है तथा रातों को रोशनी के लिए जनरेटर की व्यवस्था की गई है.
वही कोविड-19 काल में शव की बढ़ी संख्या को देखते हुए लकड़ी एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमत की तालिका भी लगाई गई है. जिससे सामान बेचने वाले कोविड-19 को अवसर नहीं बना सके. ज्ञात की संख्या में कमी होने के बावजूद हर समय श्मशान घाट पर शव जलते नजर आ रहे हैं.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan