बक्सर में गंगा किनारे तैरते मिले शवों का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. पटना हाईकोर्ट ने चौसा नदी में बहते शवों के आंकड़ो पर संदेह जताया है. राज्य सरकार की ओर से सोमवार को अदालत में रिपोर्ट पेश किया गया.जिसमें आंकड़ों को लेकर विरोधाभास था. कोरोना महामारी को लेकर पटना हाईकोर्ट लगातार सुनवाई कर रही है. इसी क्रम में चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ में बक्सर में गंगा किनारे मिले शवों के विवाद पर सुनवाई हुई.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पटना हाईकोर्ट में बक्सर में गंगा किनारे बहते शवों को लेकर जो सुनवाई हुई उसमें अदालत को सरकारी आंकड़ो में विरोधाभास दिखा. मुख्य सचिव द्वारा दाखिल किए गए जवाब में बताया गया कि कोरोना की दूसरी लहर में एक से 13 मई के बीच बक्सर में केवल छह मौते हुई हैं. वहीं दूसरी ओर पटना आयुक्त की एक रिपोर्ट ने अदालत में विवाद को तब जन्म दिया जब आयुक्त की रिपोर्ट में बताया गया कि पांच मई से 14 मई के बीच बक्सर के सिर्फ एक घाट पर 789 शवों का दाह-संस्कार हुआ है. दोनों रिपोर्ट में विरोधाभास के कारण पैदा हुए विवाद को हाईकोर्ट ने 19 मई यानी बुधवार तक स्पस्ट करने का निर्देश दिया है.
सुनवाई के दौरान राज्य के मुख्य सचिव और पटना के आयुक्त द्वारा दायर शपथ पत्र में विरोधाभास को देखते हुए नये सिरे से सही शपथ पत्र दायर करने का निर्देश मुख्य सचिव और पटना के आयुक्त को दिया है. मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने इस मामले को लेकर दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. कोर्ट ने इन दोनों पदाधिकारियों से कहा कि वे इस बात का विस्तृत शपथ पत्र दायर कर कोर्ट को बताए कि आप दोनों के शपथ पत्र में विरोधभास क्यों है. बक्सर में शवों के आंकड़े पर हाईकोर्ट को संदेह सरकार से मांगा जवाब तथा News in Hindi से अपडेट के लिए बने रहें।
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कोर्ट ने पूछा कि बक्सर में पहली मार्च, 2021 से लेकर 18 मई तक कितनी लाशों का दाह संस्कार किया गया, उसकी विस्तृत जानकारी कोर्ट को दी जाये.कोर्ट में पटना के प्रमंडलीय आयुक्त के द्वारा जो शपथ पत्र दायर किया गया उसमें कहा गया है कि पिछले दस दिनों में बक्सर में करीब 900 लाश को जलाया गया है.
900 लाश के आंकड़े पर कोर्ट ने पूछा कि जो लाशें पिछले दस दिनों में जलाई गई है, उसमें कोरोना से मरने वालों की संख्या कितनी है. मरने वालों में किस उम्र वर्ग के कितने लोग थे.इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि ऐसी बात नही है कि सभी लाशें हिन्दू की ही होगी.उसमे मुस्लिम भी होंगे और उसे दफनाया भी गया होगा. इसकी पहचान की गई या नही. इस संबंध में विस्तृत शपथ पत्र कोर्ट को तीन दिनों के अंदर दें.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan