कोलकाता : भारत में नदी के नीचे चलनेवाली पहली मेट्रो रेल लाइन का काम लगभग पूरा हो गया है. भारत में पहली बार नदी के नीचे ट्रांसपोर्ट टनेल बनायी गयी है. यहां अप और डाउन लाइन पर दो सुरंगें बनायी गयी हैं. सुरंग को पानी के रिसाव से बचाने के लिए तीन स्तर के सुरक्षा कवच बनाये गये हैं.
इस सुरंग में 80 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से मेट्रो ट्रेन चलेेेेगी. रेल मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को ट्वीट किया कि भारतीय रेल के अंतर्गत कार्य करनेवाली कोलकाता मेट्रो ने देश की पहली ऐसी ट्रांसपोर्ट टनेल बनायी है, जो नदी के अंदर से होकर गुजरेगी. यह टनेल विश्व की सर्वोत्कृष्ट तकनीक से बनायी गयी है. शीघ्र ही इस पर यात्रियों के लिए रेल यातायात शुरू किया जायेगा.
कोलकाता मेट्रो रेल के दूसरे चरण की परियोजना जापान के सहयोग से पूरी की जा रही है. इस पर आनेवाली लगभग 5000 करोड़ रुपये की लागत जापान बैंक आॅफ इंटरनेशनल को-आॅपरेशन (जेबीआइसी) के वित्तीय सहयोग से पूरी की जा रही है. दूसरा चरण लगभग 16.34 किलोमीटर लंबा है, जिसमें कुल 12 स्टेशनों का निर्माण होगा. इनमें आधे जमीन के भीतर तथा आधे खंभों पर (एलीवेटेड) होंगे. हुगली सुरंग के साथ ही कोलकाता का नाम लंदन, न्यूयार्क, सैन फ्रांसिस्को, सिंगापुर और हांगकांग जैसे विश्व के उन विकसित शहरों की श्रेणी में शामिल हो गया है, जहां मेट्रो की लाइन नदी के नीचे से निकाली गयी है.
देश की पहली अंडरवाटर टनेल कोलकाता में हुगली नदी के नीचे बन रही है. कोलकाता मेट्रो के दूसरे चरण के तहत इस सुरंग का निर्माण जापान के सहयोग से भारतीय रेल द्वारा किया जा रहा है. इसके पूरा होने पर कोलकाता का नाम विश्व के उन चुनिंदा महानगरों में शामिल हो जायेगा, जहां मेट्रो की लाइन नदी के नीचे से गुजरी है. रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, हुगली नदी के नीचे बनायी जा रही दोहरी सुरंग की लंबाई 520 मीटर है. प्रत्येक टनेल का भीतरी व्यास साढ़े 5.55 मीटर तथा दीवार की मोटाई 275 मिलीमीटर है. ये नदी की तलहटी से 13 मीटर नीचे है. एक सुरंग का काम 21 अप्रैल, 2016 को तथा दूसरी का 12 जुलाई को हावड़ा मैदान से प्रारंभ हुआ था. लेकिन विभिन्न अड़चनों के कारण इन्हें नदी तक पहुंचने में वक्त लग गया.
16 किमी लंबा है इस्ट-वेस्ट मेट्रो रूट
कोलकाता मेट्रो का इस्ट-वेस्ट प्रोजेक्ट करीब 16 किलोमीटर लंबा है, जो साॅल्टलेक स्टेडियम से हावड़ा मैदान तक फैला है. साॅल्टलेक सेक्टर-5 से सॉल्टलेक स्टेडियम के बीच इस लाइन पर करुणामयी, सेंट्रल पार्क, सिटी सेंटर और बंगाल केमिकल मेट्रो स्टेशन मौजूद हैं. कोलकाता मेट्रो भारतीय रेल के अधीन आता है और रेलवे इस पूरे प्रोजक्ट पर 8572 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. इस सुरंग को बनाने में रूस और थाइलैंड के विशेषज्ञों से सलाह ली गयी है.