एनसीआरबी की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
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महिलाओं से अपराध के मामले में तीसरे स्थान पर पश्चिम बंगाल
एनसीआरबी की रिपोर्ट में हुआ खुलासा महिलाओं से अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश प्रथम व महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर कोलकाता : देशभर में महिलाओं के साथ हुए अपराध के मामले में बंगाल तीसरे नंबर पर है. सोमवार को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी 2017 के आंकड़ों पर गौर करें तो देशभर में […]
महिलाओं से अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश प्रथम व महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर
कोलकाता : देशभर में महिलाओं के साथ हुए अपराध के मामले में बंगाल तीसरे नंबर पर है. सोमवार को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी 2017 के आंकड़ों पर गौर करें तो देशभर में महिलाओं के साथ अपराध के कुल 3.5 लाख मामले दर्ज किये गये. इसमें सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किये गये.
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 में महिलाओं के साथ अपराध के कुल 56,011 मामले दर्ज किये गये, जबकि दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र का स्थान रहा. वहां इस तरह के मामलों की संख्या 31,979 पायी गयी. पश्चिम बंगाल का स्थान इन सभी राज्यों में तीसरे नंबर पर रहा, यहां महिलाओं के साथ कुल 30,002 अपराध के मामले दर्ज किये गये. इसके अलावा मध्य प्रदेश में 29,778, राजस्थान में 25,993 और असम में 23,082 मामलों दर्ज किये गये.
एनसीआरबी की तरफ से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के साथ अपराध के ज्यादातर मामले पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा की गयी क्रूरता के 27.9% मामले में दर्ज किये गये, वहीं महिलाओं पर हमला करना और उसके सम्मान को क्षति पहुंचाने के 21.7% मामले, अपहरण और बहला-फुसला कर ले जाने के 20.5% और बलात्कार के 7.0% मामले दर्ज किये गये हैं. इसके विपरित आठ राज्यों अरुणाचल प्रदेश, गोवा, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा में महिलाओं के साथ अपराधों के मामले अन्य राज्यों की तुलना में काफी कम सामने आये. यह अखिल भारतीय आंकड़ों का एक प्रतिशत भी नहीं है.
वार्षिक रिपोर्ट 2017 के मुताबिक देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 3,59,849 मामले सामने आए. इनकी संख्या वर्ष 2015 में 3.2 लाख से अधिक थी और 2016 में यह संख्या बढ़कर 3,38,954 हो गयी थी.
ज्ञात हो कि एनसीआरबी विभाग केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आता है. यह भारतीय दंड संहिता और देश में विशेष व स्थानीय कानूनों के तहत परिभाषित अपराध आंकड़ों को एकत्र कर उनका विश्लेषण करता है. यह पहली बार है जब प्रत्येक वर्ष के की तुलना में एनसीआरबी ने दो वर्ष विलंब के बाद यह आंकड़ा जारी किया है.
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