AIMIM Chief Asaduddin Owaisi in Kolkata: कोलकाता : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख रविवार को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता पहुंचे. यहां से वह जंगीपाड़ा स्थित फुरफुरा दरबार शरीफ गये और अब्बास सिद्दीकी से मुलाकात की. बंगाली मुस्लिमों की आस्था के केंद्र फुरफरा में ओवैसी के जाते ही पश्चिम बंगाल की राजनीति में हलचल शुरू हो गयी है. चुनाव से पहले ओवैसी की इस यात्रा को तृणमूल कांग्रेस महत्व नहीं दे रहा है, लेकिन इसकी चर्चा चारों ओर है.
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 से पहले ओवैसी की सिद्दीकी की मुलाकात के बाद बंगाल में अटकलों का बाजर गर्म हो गया है. लोग अपनी-अपनी तरह से इसके मायने तलाश रहे हैं. एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में अपने उम्मीदवार उतारने का एलान पहले ही कर चुके हैं. हालांकि, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने उनकी पार्टी को इस घोषणा के तुरंत बाद तगड़ा झटका दे दिया था.
ओवैसी की ओर से बंगाल में पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद एआईएमआईएम के पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्यक्ष अनवर पाशा तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गये थे. उनके साथ पार्टी के 17 पदाधिकारियों ने भी ममता बनर्जी के नेतृत्व में आस्था जतायी. सत्तारूढ़ दल का झंडा थामने के बाद अनवर पाशा ने असदुद्दीन ओवैसी पर जबर्दस्त हमला बोला था.
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तृणमूल में शामिल होने के बाद अनवर पाशा ने दावा किया कि ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम वोटों का ध्रुवीकरण करके ममता बनर्जी को सत्ता से बेदखल करने का सपना देख रही भारतीय जनता पार्टी को फायदा पहुंचा रही है. इतना ही नहीं, अनवर पाशा ने यह भी कहा कि लोगों का एक वर्ग धर्म का इस्तेमाल करके देश को विध्वंस की ओर ले जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में मुसलमान वोटरों की अच्छी-खासी तादाद है. कई विधानसभा क्षेत्रों में वे निर्णायक भूमिका निभाते हैं. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में सीमांचल की 5 सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद ओवैसी के हौसले बुलंद हैं. उन्हें लगता है कि बंगाल में भी वह कुछ दलों का खेल बिगाड़ सकते हैं. यहां बताना प्रासंगिक होगा कि ओवैसी की वजह से बिहार में राष्ट्रीय जनता दल को काफी नुकसान झेलना पड़ा था.
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फुरफुरा शरीफ, जिसे फुरफुरा भी कहते हैं, पश्चिम बंगाल के हुगली जिला स्थित श्रीरामपुर अनुमंडल के जंगीपाड़ा ब्लॉक का एक गांव है. फुरफुरा गांव में वर्ष 1375 में मुकलिश खान ने एक मसजिद का निर्माण कराया था, जो अब बंगाली मुस्लिमों की आस्था का केंद्र बन चुका है. उर्स एवं पीर मेला के दौरान यहां भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.
At Furfura Sharif, West Bengal in a meeting with Pirzada Abbas Siddiqui sb, Pirzada Naushad Siddiqui sb, Pirzada Baizid Amin sb & Janab Sabir Ghaffar sb pic.twitter.com/lptUX24JnJ
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) January 3, 2021
फुरफुरा शरीफ में अबु बकर सिद्दीकी और उनके पांच बेटों की मजार है. इसे पांच हुजूर केबला कहते हैं. अबु बकर समाज सुधारक थे. धर्म में उनकी गहरी आस्था थी. उन्होंने कई चैरिटेबल संस्था की स्थापना की. मदरसे बनवाये, अनाथालय एवं स्कूल और अन्य संस्थानों की नींव रखी. महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए फुरफुरा शरीफ में बेटियों के लिए स्कूल की स्थापना की. इसका नाम सिद्दीका हाई स्कूल रखा.
अबु बकर को ‘ऑर्डर ऑफ फुरफुरा शरीफ’ या ‘सिलसिला-ए-फुरफुरा शरीफ’ का संस्थापक माना जाता है. बंगालियों के फाल्गुन महीने की 21, 22 और 23 तारीख को यहां धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं, अलग-अलग जगहों से भारी संख्या में लोग आते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस क्षेत्र में रहने वाले अशरफ 14वीं सदी के उन मुस्लिम आक्रांताओं के वंशज हैं, जिन्होंने बागड़ी (बर्ग क्षत्रिय) को हराकर उनकी सत्ता पर कब्जा कर लिया था. बागड़ी को शाह कबीर हलिबी और करामुद्दीन ने हराया था. ये दोनों भी युद्ध में मारे गये थे.
Posted By : Mithilesh Jha