कोलकाता एयरपोर्ट पर वीआइपी कारों को फुटपाथ से दूर ले जाने के लिए एक नयी योजना बनायी जा रही है. अधिकारियों ने एक नया टर्मिनल बनाने का विचार किया है, जिससे वीआइपी लोगों के लिए अलग प्रवेश और निकास की व्यवस्था की जा सकेगी. नये टर्मिनल के लिए पुराने घरेलू टर्मिनल भवन को ध्वस्त कर दिया जायेगा. हालांकि, इस योजना को अब तक मंजूरी नहीं मिली है. भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वे कोलकाता में दिल्ली के समान एक प्रणाली की योजना बना रहे हैं. दिल्ली एयरपोर्ट पर वीआइपी लोगों के लिए अलग निकास द्वार है, जहां उनकी कारें भी पार्क की जाती हैं. ऐसी ही व्यवस्था हमने कोलकाता एयरपोर्ट पर भी करने का प्रस्ताव दिया है. इसे दिल्ली में मुख्यालय द्वारा अनुमोदित किया जाना है. विस्तारित टर्मिनल भवन के अंतिम दाहिने छोर पर वीआइपी के लिए एक अलग निकास है. उन्होंने कहा, “वीआइपी कार की पार्किंग भी वहीं होगी, इसलिए इन कारों को अन्य यात्रियों के लिए बने गेट के सामने पार्क करने की जरूरत नहीं होगी. अधिकारी ने कहा कि वीआईपी कारों को हटाना असंभव है, जो आगमन स्तर पर टर्मिनल भवन के सामने लंबे समय तक खड़ी रहती हैं. जब भी हमारे कर्मचारी या पार्किंग एजेंसी के लोगों ने कारों को हटाने की कोशिश की, गार्ड और कभी-कभी पुलिस ने उन्हें दूर कर दिया. अधिकारी का कहना है कि कारें बंगाल सरकार, केंद्र और अन्य राज्यों की सरकारों के कई विभागों की हैं, उनकी गाड़ी पार्क की ऐसी शिकायतें भेजना मुश्किल है.
कोलकाता हवाईअड्डे के अधिकारियों ने ऐसे वाहनों के लिए हवाईअड्डे के रास्ते पर एक निर्दिष्ट पार्किंग क्षेत्र बनाया है, जहां सड़क दाहिनी ओर मुड़ती है. वीआईपी पार्किंग के लिए साइनेज, जिसे पिछले सप्ताह बहाल किया गया था, अब फिर से गायब हो गया है. सूत्रों का कहना है कि आगमन स्तर पर टर्मिनल के बाहर की पहली लेन कारों की लंबी कतार से भरी हुई दिखाई देती है. वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को लाने-ले जाने की घोषणा करने वाले बीकन और बोर्ड या स्टिकर लगे वाहन लंबे समय तक टर्मिनल के सामने खड़े रहते हैं, जिससे काफी दिक्कत होती है. कई वाहन दूसरी लेन में भी पार्क किये जाते हैं, जिससे तेजी से उड़ान भरने पर जाम लग जाता है और कभी-कभी स्थिति बेकाबू हो जाती है. सामान्य यात्रियों को गेट नंबर 3ए के सामने अपने सामान के साथ अपनी कारों या ऐप कैब तक पहुंचने के लिए संघर्ष करना पड़ता है.