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मवेशी तस्करी के खिलाफ CBI की बड़ी कार्रवाई, BSF के पूर्व कमांडेंट समेत 4 पर केस दर्ज, क्या है सॉकेट बम का खेल

पश्चिम बंगाल के रास्ते मवेशियों की तस्करी करने वालों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हुई है. केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ ने बीएसएफ के एक अधिकारी समेत 4 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. जिन लोगों को नामजद किया गया है, उनमें सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की 36वीं बटालियन के पूर्व कमांडेंट तथा एक कथित सरगना सहित 4 लोग शामिल हैं.

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के रास्ते मवेशियों की तस्करी करने वालों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हुई है. केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ ने बीएसएफ के एक अधिकारी समेत 4 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. जिन लोगों को नामजद किया गया है, उनमें सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की 36वीं बटालियन के पूर्व कमांडेंट तथा एक कथित सरगना सहित 4 लोग शामिल हैं.

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने भारत-बांग्लादेश सीमा के जरिये मवेशियों की तस्करी से जुड़े मामले में देश में 15 ठिकानों पर छापेमारी भी की. ये स्थान पश्चिम बंगाल के कोलकाता, सिलीगुड़ी और मुर्शिदाबाद, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, पंजाब के अमृतसर और छत्तीसगढ़ के रायपुर में स्थित हैं. जांच एजेंसी ने इस संबंध में दिल्ली में भी छापेमारी की.

अधिकारियों ने बताया कि सीबीआइ ने इस मामले में बीएसएफ की 36वीं बटालियन के तत्कालीन कमांडेंट सतीश कुमार तथा मवेशी तस्करी के कथित सरगना इनामुल हक और अन्य व्यक्तियों-अनारुल और मोहम्मद गुलाम मुस्तफा को नामजद किया है. उन्होंने बताया कि कुमार इस समय रायपुर में पदस्थ हैं.

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हक को सीबीआइ ने मार्च, 2018 में एक अन्य बीएसएफ कमांडेंट जिबू टी मैथ्यू को रिश्वत देने के आरोप में भी गिरफ्तार किया था, जिसे जनवरी, 2018 में अलप्पुझा रेलवे स्टेशन से 47 लाख रुपये की नकदी के साथ पकड़ा गया था.

एजेंसी ने अप्रैल, 2018 में प्रारंभिक जांच के जरिये हक की कथित अवैध गतिविधियों और उन अन्य सरकारी अधिकारियों से उसके संबंधों की पड़ताल शुरू कर दी, जिन्होंने भारत-बांग्लादेश सीमा पर उसके अवैध कारोबार में मदद की. बांग्लादेश से लगती सीमा की रक्षा का दायित्व बीएसएफ के पास है.

जांच एजेंसी ने कहा कि सतीश कुमार दिसंबर, 2015 से अप्रैल, 2017 तक पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में बीएसएफ की 36वीं बटालियन के कमांडेंट के रूप में पदस्थ थे. उनके अधीन चार कंपनियां मुर्शिदाबाद और दो कंपनियां मालदा में सीमा के पास तैनात थीं.

20 हजार गायें बरामद हुईं, लेकिन गाड़ी नहीं पकड़ी गयी

अधिकारियों ने बताया कि उनकी इस पदस्थापना के दौरान बीएसएफ ने तस्करी के लिए ले जायी जा रहीं 20 हजार से अधिक गायें बरामद कीं, लेकिन गायों की तस्करी की कोशिश में इस्तेमाल किये गये वाहनों और तस्करों को कभी नहीं पकड़ा जा सका.

पशु तस्करों के लिए रिकॉर्ड से होता था छेड़छाड़

उन्होंने बताया कि तस्करों, सीमा शुल्क और बीएसएफ के कुछ अधिकारियों के बीच गठजोड़ के चलते कागजों पर इन मवेशियों को वजन और आकार के हिसाब से छोटा दिखाया गया तथा उनकी नस्ल के रिकॉर्ड में भी छेड़छाड़ की गयी. इसकी वजह से बरामदगी के तुरंत बाद हुई नीलामी में इनकी कीमत घट गयी.

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अधिकारियों ने कहा कि सीबीआइ ने आरोप लगाया है कि हक, अनारुल और मुस्तफा सीमा शुल्क विभाग द्वारा की जाने वाली नीलामी में इन मवेशियों को वापस कम दामों में खरीद लेते थे. आरोप में कहा गया है, ‘इसके बदले में मोहम्मद इनामुल हक प्रति मवेशी संबंधित बीएसएफ अधिकारियों को दो हजार रुपये और सीमा शुल्क अधिकारियों को 500 रुपये देता था.’

अधिकारियों को रिश्वत और कमीशन देते थे तस्कर

सीबीआइ ने आरोप लगाया है, ‘सीमा शुल्क विभाग के अधिकारी हक, मुस्तफा और अनारुल जैसे सफल बोली लगाने वालों से नीलामी की कुल कीमत की 10 प्रतिशत राशि रिश्वत में लेते थे.’ सीबीआइ ने प्राथमिकी में कहा है कि जब्त मवेशियों को चारा खिलाने के बदले बीएसएफ और सीमा शुल्क विभाग के बीच कोई शुल्क वसूली नहीं हुई, लेकिन सफल बोली लगाने वाले लोग बीएसएफ के अधिकारियों को प्रति मवेशी 50 रुपये देते थे.

एजेंसी ने आरोप में कहा है, ‘कुमार का बेटा मई, 2017 से दिसंबर, 2017 के बीच हक द्वारा प्रवर्तित एक कंपनी में नौकरी करता था, जहां उसे हर महीने 30-40 हजार रुपये मिलते थे. इससे उसके इस अपवित्र गठजोड़ के भागीदारों के साथ घनिष्ठ संबंध का पता चलता है.’

मवेशियों के गले में बांध देते हैं सॉकेट बम

सीबीआइ ने भारत-बांग्लादेश सीमा के जरिये मवेशियों की तस्करी से जुड़े लोगों का पर्दाफाश करने के लिए बुधवार को पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में छापेमारी की. सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एजेंसी पश्चिम बंगाल में अंतरराष्ट्रीय सीमा से मवेशियों की तस्करी की जांच पिछले एक साल से कर रही है. बीएसएफ के सूत्रों के अनुसार, तस्कर मवेशियों की तस्करी करते समय उनके गले में सॉकेट बम बांध देते हैं, ताकि उनके पकड़े जाने पर जवानों को नुकसान पहुंचाया जा सके.

Posted By : Mithilesh Jha

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