झारखंड के तीन कांग्रेस विधायकों की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश तीर्थंकर घोष ने कहा कि आखिर इस मामले की सुनवाई निचली अदालत में क्यों हो रही है और निचली अदालत अर्थात् हावड़ा कोर्ट के सीजेएम के पास इस मामले की सुनवाई करने का अधिकार ही नहीं है. गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सीआईडी अधिकारियों को भी जम कर फटकार लगायी.
कलकत्ता हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधीश तीर्थंकर घोष ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ एंटी करप्शन एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है, तो आरोपियों को विशेष अदालत में क्यों नहीं पेश किया गया. न्यायाधीश ने सीआईडी से आरोपियों को एंटी करप्शन एक्ट के तहत दर्ज मामलों की सुनवाई के लिए बने विशेष अदालत में पेश करने का आदेश दिया.
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गौरतलब है कि 30 जुलाई को हावड़ा जिला के पांचला में राष्ट्रीय राजमार्ग 16 पर हावड़ा ग्रामीण पुलिस ने झारखंड के तीन कांग्रेस विधायकों इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगारी सहित पांच लोगों को बेहिसाबी 49 लाख रुपये नकद बरामद होने के बाद गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार लोगों में वाहन का चालक और एक अन्य व्यक्ति भी शामिल है.
इससे पहले विधायकों को हावड़ा जिला अदालत ने 10 दिनों की सीआईडी हिरासत में भेजा था. इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 120बी, 171ई व 34 के साथ-साथ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 8 व 9 के तहत मामला चल रहा है. मामले की जांच सीआईडी कर रही है. बुधवार को सभी आरोपियों को फिर से अदालत में पेश किया गया था, जहां हावड़ा के सीजेएम कोर्ट ने सभी आरोपियों को चार दिन अर्थात् 14 अगस्त तक सीआईडी हिरासत में भेज दिया गया है.
जस्टिस तीर्थंकर घोष ने सीआईडी के अधिवक्ता से पूछा कि आरोपियों को विशेष अदालत में क्यों नहीं पेश किया गया? क्या आप लोग कानून नहीं जानते? न्यायाधीश ने आगे कहा कि आखिर निचली अदालत में कैसे मामले की सुनवाई हो रही है? उनके पास ऐसे मामले की सुनवाई करने का अधिकार ही नहीं है.
जज ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि हावड़ा के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट भी इस पर सुनवाई कैसे कर सकते हैं? उनको तो पहले ही मामले को विशेष अदालत में भेज देना चाहिए था. न्यायाधीश ने सीआईडी से पूछा कि आप लोगों ने सीजेएम कोर्ट से दो बार आरोपियों को कब्जे में लेकर पूछताछ की?
इस पर सीआईडी के अधिवक्ता ने कहा कि इस मामले में नयी धारा जोड़ने के लिए आवेदन किया गया है. सीआईडी ने निचली अदालत में आईपीसी की धारा 467 जोड़ने का आवेदन किया है. इस धारा के तहत दोष साबित होने पर आरोपियों को अधिकतम 10 वर्ष तक की सजा हो सकती है.
अब तक जिन धाराओं के तहत मामला किया गया है, इसके तहत अधिकतम सात वर्ष की सजा का प्रावधान है. हालांकि, आरोपियों की जमानत पर गुरुवार को हाईकोर्ट ने फैसला नहीं सुनाया. मामले की सुनवाई शुक्रवार को भी हाईकोर्ट में जारी रहेगी.