कोलकाता : Covid-19 को लेकर केंद्र और ममता सरकार आमने-सामने हो गयी है. अब राज्य में लेटर बम गिरने से राजनीतिक हलचलें तेज हो गयी है. पहले गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से इंटर मिनिस्ट्रेरियल सेंट्रल टीम (IMCT) को सहयोग करने संबंधी पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा को पत्र लिखकर सहयोग नहीं करने की बातें कही. वहीं, अब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) समेत सात अन्य मेडिकल संस्थाओं ने पत्र लिख कर ममता सरकार से कोरोना संक्रमण को लेकर रियल टाइम डाटा जारी करने के लिए कहा है. पत्र में यह भी मांग की गयी है कि रोजाना एक मेडिकल बुलेटिन जारी की जाये.
Indian Medical Association (IMA) & 7 other medical organizations have collectively written to West Bengal CM. Letter states, "Real-time, transparent data of #COVID19 in our state, including daily medical bulletins of all healthcare workers under treatment is highly solicited". pic.twitter.com/hTeRNmFz2U
— ANI (@ANI) April 21, 2020
गृह मंत्रालय ने कोविड-19 से पैदा हुई स्थिति का आकलन करने के लिए राज्य का दौरा कर रही केंद्रीय टीमों के साथ सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया है. मंत्रालय का कहना है कि केंद्रीय टीमों को प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने और स्वास्थ्य कर्मियों के साथ बातचीत करने से रोका जा रहा है. इस संबंध में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा को पत्र लिखकर सहयोग नहीं करने की बातें कही है. पत्र में कहा गया है कि कोलकाता और जलपाईगुड़ी का दौरा करने वाली इंटर मिनिस्ट्रेरियल सेंट्रल टीम (IMCT) के सदस्यों को राज्य और स्थानीय प्रशासन द्वारा अपेक्षित सहयोग नहीं दिया गया है.
Also Read: Coronavirus Pandemic : बंगाल में केंद्र की टीम को लेकर भड़की ममता, पीएम मोदी को लिखा पत्रकेंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि यह आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेशों के कार्यान्वयन में बाधा डालने के समान है. इसके साथ ही यह उच्चतम न्यायालय के बाध्यकारी दिशा-निर्देशों का भी उल्लंघन है. इधर, गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने भी कहा कि केंद्र ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत चार राज्यों- महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में टीमें भेजी गयी हैं. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में टीमों को पूरा समर्थन मिल रहा है, लेकिन पश्चिम बंगाल में ममता सरकार ऐसा नहीं कर रही है.
Also Read: राज्यपाल जगदीप धनखड़ का CM पर आरोप, संविधान की लगातार अवहेलना कर रही हैं ममता बनर्जीइससे पहले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनकड़ (Jagdeep Dhankad) ने भी एक निजी चैनल से बात करते हुए ममता सरकार पर कई आरोप लगाये. राज्यपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी किसी भी पत्र का जवाब नहीं दे रही है और न ही राज्य में कोरोना की वास्तविक रिपोर्ट दी जा रही है. दूसरी और, भाजपा प्रदेश प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने भी ममता सरकार के कार्यों पर सवाल उठाये हैं. दोनों का कहना है कि केंद्र सरकार बंगाल समेत देश में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए हरसंभव सहयोग कर रही है, लेकिन इसके ठीक उलट ममता सरकार केंद्रीय पर्यवेक्षक टीम को सहयोग नहीं कर रही है.
Also Read: बंगाल बीजेपी का ममता सरकार पर आरोप, कहा- राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था है बदहालभारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और प्रदेश प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को चिट्ठी लिखकर पश्चिम बंगाल सरकार पर डॉक्टरों के साथ अमानवीय आचरण अपनाने का भी आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार की लापरवाही और ढील की वजह से कोरोना महामारी भयंकर रूप लेती जा रही है. कहा कि अखबारों और चैनलों में दिखाया जा रहा है कि प्रशासन और पुलिस की ढिलाई के कारण लोग किस तरह खुलेआम घूम कर महामारी को बढ़ावा दे रहे हैं. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत गरीबों को मिलने वाला राशन भी वितरित नहीं किया जा रहा है. इससे लोग भूखे रहकर महामारी में प्रतिरोधक क्षमता घटने के कारण आसानी से संक्रमण के शिकार बन रहे हैं.
राज्यपाल को लिखे पत्र में कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार में लगे डॉक्टरों और कर्मचारियों को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के नियमों के अनुसार एन 95 मॉस्क भी उपलब्ध नहीं कराये जा रहे हैं. मेडिकल कॉलेज , कोलकाता के एमबीबीएस इंटर्न चिकित्सकों ने इस बारे में अपनी चिंता से अवगत कराया है, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल में न तो आइसोलेशन वार्ड है और न ही पर्याप्त चिकित्सा सुरक्षा उपलब्ध है. मरीजों के साथ ही चिकित्सकों, स्वास्थ्य कर्मियों और उनके परिवारों के सामने जीवन का संकट पैदा हो गया है.
इधर, कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर केंद्र सरकार के कार्य पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) शुरू से सवाल उठा रही है. पहले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) ने केंद्र पर खराब टेस्टिंग किट दिये जाने से सही परिणाम आने में देरी को लेकर सवाल उठाये. वहीं, इंटर मिनिस्ट्रेरियल सेंट्रल टीम (IMCT) के बंगाल के कुछ जिले में आने के मसले पर नाराजगी जाहिर की थी. मुख्यमंत्री का आरोप है कि समय पर राज्य सरकार को केंद्र से सूचना नहीं मिली, जो सही नहीं है. इस संबंध में मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केंद्रीय टीम के राज्य में पहुंचने पर भी आपत्ति जतायी.
Also Read: बंगाल में केंद्रीय पर्यवेक्षकों को भेजने की घोषणा पर ममता नाराज, कहा- यह संघीय भावना के खिलाफमुख्यमंत्री ने कहा था कि लॉकडाउन को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार सक्रिय है. राज्य में लॉकडाउन 14 अप्रैल से ही जारी है, जिसे बढ़ा कर 30 अप्रैल तक दिया गया है. यह घोषण केंद्र सरकार की घोषण से पहले ही की गयी, तो फिर किस आधार पर कहा जा रहा है कोरोना संक्रमण की रोकथाम में राज्य सरकार सहयोग नहीं कर रही है. कोरोना रोकथाम को लेकर केंद्र और राज्य सरकारी के बीच जारी यह टकराव हर दिन तेज हो रहा है.
आपको बता दें कि 20 अप्रैल, 2020 को केंद्र सरकार ने कोविड-19 (Covid-19) संबंधी हालातों का जायजा लेने के लिए चार इंटर मिनिस्ट्रियल सेंट्रल टीम का गठन किया. इसके तहत मध्य प्रदेश के इंदौर, महाराष्ट्र के मुंबई एवं पुणे, राजस्थान के जयपुर और पश्चिम बंगाल के कोलकाता, हावड़ा, पूर्वी में मेदिनीपुर, उत्तर 24 परगना, दार्जीलिंग, कलिम्पोंग और जलपाईगुड़ी के हालत पर निगरानी रखने के लिए टीम का गठन हुआ.