कोलकाता (नवीन कुमार राय) : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की पश्चिम बंगाल इकाई पर गाज गिर सकती है. पार्टी अब तक कांग्रेस के साथ सीटों के तालमेल पर अंतिम सहमति नहीं बना पायी है. 30-31 जनवरी को केंद्रीय कमेटी की बैठक है और इसी दौरान बंगाल इकाई पर कार्रवाई के संकेत मिल रहे हैं.
इसकी वजह यह है कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पूरे दमखम के साथ मैदान में उतर गयी है. ऐसे में बंगाल में पार्टी की चुनाव की तैयारी में देरी हो रही है. लिहाजा, माकपा की केंद्रीय समिति की आगामी बैठक में बंगाल के नेताओं को प्रकाश करात समर्थकों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है.
माकपा 30 और 31 जनवरी को पश्चिम बंगाल सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों पर चर्चा के लिए दो दिवसीय केंद्रीय समिति की बैठक करने जा रही है. विधानसभा चुनाव सिर पर है, लेकिन माकपा, वाम मोर्चा और कांग्रेस के गठबंधन की सीटों को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है.
पार्टी सूत्रों के अनुसार, माकपा की सर्वोच्च नीति-निर्धारण समिति इस घटना को लेकर चिंतित है. ऐसी स्थिति में माकपा के केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी की बंगाल इकाई को एक कड़ा संदेश भेजा है. कहा है कि अगले 7 दिन में अंतिम निर्णय ले लें. ऐसा नहीं हुआ, तो केंद्रीय कमेटी की दो दिवसीय बैठक में बंगाल पर सार्थक चर्चा नहीं हो पायेगी.
बताया गया है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में माकपा और वाम मोर्चा कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगी, यह पहले तय करना होगा. अन्यथा बैठक की किसी भी दिशा को निर्दिष्ट करना असंभव है. सूत्रों के अनुसार, करात समर्थक सीट शेयरिंग में देरी के लिए पार्टी की बंगाल ब्रिगेड को दोषी ठहरा रहे हैं.
हमेशा की तरह पार्टी के कट्टर नेता प्रकाश करात और उनके अनुयायी केरल लॉबी पश्चिम बंगाल चुनावों में कांग्रेस के साथ समझौता नहीं करना चाहते थे, क्योंकि केरल में कांग्रेस वामपंथियों की मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी है. हालांकि, अंत में गठबंधन पर सहमति बन गयी.
भले ही कुछ महीने पहले एक निर्णय लिया गया था, लेकिन बंगाल इकाई अभी भी कांग्रेस से सीट लेने के लिए संघर्ष कर रही है. करात लॉबी बहुत गुस्से में है. लिहाजा, अगर कांग्रेस-लेफ्ट के बीच सीटों पर समझौता नहीं हुआ, तो बंगाल इकाई पर गाज गिरना संभव है.
Posted By : Mithilesh Jha