कोलकाता : पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा में अब करीब एक महीने से भी कम का समय बचा है. ऐसे में कोविड-19 महमारी के मद्देनजर सादगी से उत्सव मनाने की तैयारियां पूरे शहर में शुरू हो गयी हैं. आयोजक संक्रमण को फैलने से रोकने के उपायों पर काम कर रहे हैं.
ज्वलंत विषयों की थीम पर पूजा पंडाल बनाने के लिए ख्यातिप्राप्त दक्षिण कोलकाता के आयोजक समाजसेवी संघ ने इस बार अपने खुले पंडाल की दिशा बदलकर दक्षिणी एवेन्यू की ओर करने का फैसला किया है, ताकि श्रद्धालु अपने वाहन में बैठककर दूर से ही देवी दुर्गा की प्रतिमा का दर्शन कर सकें.
पूजा संघ के सचिव अरिजीत मोइत्रा ने बताया, ‘प्रतिमा के ऊपर पंडाल होगा, लेकिन बाकी तीन ओर से वह खुला होगा. चिकित्साकर्मी पंडाल के पास ही आपातकालीन किट के साथ तैनात होंगे. स्वयंसेवी, लोगों को पंडाल के प्रवेश द्वार पर भीड़ लगाने नहीं देंगे.’
Also Read: Online Exams 2020: WhatsApp और ई-मेल से प्रश्नपत्र भेजेगा कलकत्ता विश्वविद्यालय, दो घंटे में देना होगा जवाबउन्होंने कहा, ‘इस साल चीजें अलग होंगी. हमने पूजा पंडाल लगाने का बजट भी 60 लाख से कम करके 15 लाख रुपये कर दिया है. बचत की गयी राशि सुंदरबन के 75 वंचित परिवारों में वितरित की जायेगी.’
मोहम्मद अली पार्क के एक और सबसे बड़े आयोजक ने इस साल तड़क-भड़क को छोड़ सादगी से पूजा आयोजित करने का फैसला किया है. पूजा समिति के महासचिव अशोक ओझा ने कहा, ‘इस बार कम प्रकाश की व्यवस्था होगी और पंडाल छोटा होगा. देवी की प्रतिमा भी इस बार आठ फुट से ऊंची नहीं होगी.’
दक्षिण कोलकाता में आकर्षण के केंद्र में रहने वाले भवानीपुर 75 पाली पूजा पंडाल में भी तैयारियां चल रही हैं. कोविड-19 की जांच के बाद मजदूरों ने काम शुरू कर दिया है.
भवानीपुर 75 पाली समिति के पदाधिकारी सुबीर दास न कहा, ‘हमारे पास सैनिटाइजर सुरंग होगी और सामाजिक दूरी सुनिश्चित की जायेगी. पंडाल तक जाने वाली सड़क के दोनों ओर अवरोधक नहीं लगाये जायेंगे.’ हालांकि, कोलकाता नगर निगम के अधिकारी देबाशीष कुमार द्वारा संरक्षण प्राप्त त्रिधारा सम्मिलनी ने अभी तक पूजा की योजना तैयार नहीं की है.
Also Read: NIA का खुलासा: पश्चिम बंगाल में बहुत बड़ा है अलकायदा का नेटवर्क, गिरफ्तार 6 लोगों में दो छात्र, कश्मीर से भी जुड़े हैं तारआयोजकों ने कहा कि वे इस साल उत्सव को लेकर दुविधा में हैं. कुमार ने कहा, ‘हमने प्रतिमा की बुकिंग कर ली है, लेकिन पंडाल निर्माण का कार्य शुरू नहीं हुआ है. हम इस विचार के समर्थक नहीं हैं कि केवल कार से आने वाले ही देवी के दर्शन कर सकें. उनका क्या जो कई किलोमीटर पैदल चलकर पूजा पंडाल आते हैं?’
उन्होंने कहा, ‘अंतिम फैसला 25 सितंबर को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पूजा आयोजन समितियों के साथ होने वाली बैठक के बाद लिया जायेगा.’ उत्तरी कोलकाता में पारंपरिक रूप से प्रतिमा बनाने वालों की बस्ती कुम्हारटोली के कलाकारों का कहना है कि इस साल पहले की तरह कारोबार नहीं है, क्योंकि अधिकतर पूजा समितियों ने बजट में कटौती की है.
एक कलाकार कांछी पॉल ने कहा कि इस साल उन्हें पहले के मुकाबले महज 30 प्रतिशत काम मिला. उन्होंने कहा, ‘लगभग सभी शीर्ष पूजा समितियों ने प्रतिमा की ऊंचाई आठ से 10 फुट रखने को कहा है, जो सामान्य समय के मुकाबले कम से कम पांच फुट कम है. यह नयी सामान्य स्थिति है. हमें बदलती हुई परिस्थिति से सामंजस्य बनाना होगा.’
Posted By : Mithilesh Jha