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Coronavirus Pandemic: लॉकडाउन ने तोड़ी कव्वालों की कमर, खाने के पड़े लाले

कोविड-19 (Covid19) महामारी के बाद लॉकडाउन (Lock Down) ने संगीत की दुनिया से जुड़े कव्वालों की कमर तोड़ दी है. गली-मुहल्लों में आयोजित कार्यक्रम में कव्वाली कर अपना दिन गुजारने वाले इन कलाकारों का लॉकडाउन की वजह से कार्यक्रम बंद है. आय का जरिया पूरी तरह से रूक गया है. इस कारण इनके सामने जीवन और जीविका का प्रश्न खड़ा हो गया है. कइयों को खाने के लाले पड़ गये हैं. कव्वाली व सूफी संगीत गाने वाले पश्चिम बंगाल में लगभग 200 से 250 कलाकार हैं.

अजय विद्यार्थी

कोलकाता : कोविड-19 महामारी के बाद लॉकडाउन ने संगीत की दुनिया से जुड़े कव्वालों की कमर तोड़ दी है. गली-मुहल्लों में आयोजित कार्यक्रम में कव्वाली कर अपना दिन गुजारने वाले इन कलाकारों का लॉकडाउन की वजह से कार्यक्रम बंद है. आय का जरिया पूरी तरह से रूक गया है. इस कारण इनके सामने जीवन और जीविका का प्रश्न खड़ा हो गया है. कइयों को खाने के लाले पड़ गये हैं. कव्वाली व सूफी संगीत गाने वाले पश्चिम बंगाल में लगभग 200 से 250 कलाकार हैं.

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मार्च से जून माह तक कव्वाली का सीजन माना जाता है, लेकिन कोविड-19 महामारी की वजह से सीजन लगभग समाप्त प्राय: ही है. इस सीजन में ही आय से पूरे वर्ष इनका गुजारा होता है. कोलकाता में रहने वाले कव्वाल हसैनन वारसी ने प्रभात खबर से बातचीत करते हुए कहा, उन लोगों ने अपना पूरी जीवन संगीत में व्यतीत किया है. कव्वाली या सूफी संगीत गाने के अतिरिक्त उन लोगों ने कुछ सीखा ही नहीं है.

उन्होंने कहा कि अभी लॉकडाउन की वजह से कोई कार्यक्रम नहीं हो रहा है तथा वर्तमान में जैसी परिस्थिति है. अगले दो-तीन माह तक कोई कार्यक्रम होने की संभावना भी नहीं है. कार्यक्रम नहीं होने के कारण उन लोगों की आय पूरी तरह से बंद हो गयी है. घर में खाने के लाले पड़ गये हैं. परिवार में बीमार लोगों को इलाज नहीं करवा पा रहे हैं. अगर यही स्थिति बनी रही, तो उन लोगों के पास मरने के सिवा और कोई भी विकल्प नहीं बचेगा.

उन्होंने कहा कि कव्वाली के कार्यक्रम में सात से आठ कलाकारों की टीम होती है. इसमें हारमोनियम वादक, सामूहिक गान (कोरस) के लिए दो कलाकार, बैंजू बजाने वाला, की बोर्ड बजाने वाला, रामढोल बजाने वाला, पारकेशन (झुनझुना) बजाने वाला, ऑक्टो पैड बजाने वाला, तबला और ढोलक बजाने वाला कलाकार होता है. कार्यक्रम बंद होने के कारण इन कलाकारों के आय का जरिया पूरी तरह से बंद हैं.

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उन्होंने कहा कि वैसे भी कव्वाली के श्रोता ज्यादातर अल्पसंख्यक समुदाय के मध्यम वर्ग के ही लोग हैं. इस कारण इन कलाकारों की हालत बहुत अच्छी नहीं है. अब लॉकडाउन ने इनकी कमर पूरी तरह से तोड़ दी है. उन्होंने कहा कि कव्वाली कलाकार बंगाल के विभिन्न जिलों के हैं और उनकी आर्थिक हालत बहुत ही खराब है.

उन्होंने कहा कि सरकार विभिन्न कलाकारों की मदद करते रही है. इस विकट परिस्थिति में सरकार से आशा है कि उन्हें मदद करें और न केवल उनके पेशे व उनके जीवन की भी रक्षा करें. उन लोगों की सरकार की ओर से आर्थिक मदद उपलब्ध करायी जाये, ताकि वे अपने प्राणों की रक्षा कर सकें.

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