कोलकाता : कोरोना संकट के बीच भारतीय जनता पार्टी के सांसदों पर पुलिस की सख्ती और उन्हें हाउस अरेस्ट करने के मुद्दे पर सरकार और राजभवन के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है. राज्यपाल ने इस मामले में प्रशासन के रवैये को चिंताजनक करार दिया है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बर्ताव को सुधारने की अपील की है. दरअसल भाजपा के सांसद डॉ सुभाष सरकार, जॉन बारला, अर्जुन सिंह और राजू बिष्ट को घरों से निकलने पर पाबंदी लगा दी गयी है. उनके घर के बाहर पुलिस कर्मियों की तैनाती है.
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इसे लेकर राज्यपाल ने आपत्ति जतायी थी और कहा था कि भाजपा सांसदों के साथ राज्य सरकार का यह रवैया जनप्रतिनिधि कानून से परे है. इसके जवाब में शनिवार को राज्य के गृह सचिव अलापन बनर्जी ने राज्यपाल के अतिरिक्त मुख्य सचिव एससी तिवारी को एक चिट्ठी लिखी है. इसमें श्री बनर्जी ने स्पष्ट किया है कि जनप्रतिनिधियों के खिलाफ राज्यपाल की जो टिप्पणी है उस पर मैं यह ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि वर्तमान हालात में कानून के प्रावधानों के मुताबिक केवल जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ही कानून का अनुपालन कराने के अधिकारी हैं. इसी चिट्ठी को रविवार को राज्यपाल ने ट्विटर पर डाला है.
इसमें उन्होंने लिखा है : हे भगवान हम कहां जा रहे हैं? सांसदों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के बाद गृह सचिव की प्रतिक्रिया ऐसी है. इस पर ममता बनर्जी क्या कहना चाहेंगी? यह कितनी विडंबना है कि एक व्यक्ति जो हजारों लोगों को खाना खिला सकता है, उसकी गतिविधियों पर पाबंदी लगा दी गयी है और उसे घर से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा. यह काफी गंभीर मामला है. इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते. यह विभाजक दृष्टिकोण स्वीकार्य नहीं है.
अपने दूसरे ट्वीट में राज्यपाल ने लिखा है : मैं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अपील करता हूं कि अपने बर्ताव में सुधार करें. डॉक्टर सुभाष सरकार, जॉन बारला, अर्जुन सिंह और राजु बिष्ट में अच्छा काम किया था जबकि ममता सरकार ने उनकी गतिविधियों को रोक दिया. इस तरह के गंभीर मुद्दों को छोड़ा नहीं जा सकता है.
उल्लेखनीय है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता मंत्री विधायकों को आम लोगों के बीच जाकर राहत सामग्रियां बांटने की छूट है, जबकि भाजपा सांसदों के घरों से निकलने पर भी पाबंदी लगायी गयी है. इसे लेकर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. पार्टी के प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने इसकी रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भेजी है. हालांकि केंद्र सरकार ने अभी तक इस पर कोई बयान जारी नहीं किया है.