West Bengal:राज्य में हुए शिक्षक भर्ती घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा डब्ल्यूबीबीपीइ के पूर्व अध्यक्ष और तृणमूल कांग्रेस के विधायक माणिक भट्टाचार्य (Manik Bhattacharya) की न्यायिक हिरासत की अवधि शुक्रवार को समाप्त हो गई. इसी दिन उन्हें बैंकशाल अदालत स्थित पीएमएलए कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट में सुनवाई के दौरान माणिक के अधिवक्ता संजय दासगुप्ता ने उम्रदराज होने व अस्वस्थता का हवाला देकर उन्हें जमानत देने की अपील की. इसका ईडी के अधिवक्ता ने विरोध करते हुए दावा किया कि माणिक और उनके परिजनों की संपत्ति से जुड़े कई अहम तथ्य मिले हैं. माणिक को यदि जमानत दी गयी, तो जांच प्रभावित हो सकती है. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने माणिक को 10 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में रखे जाने का निर्देश दिया है.
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ईडी की ओर से दावा किया गया कि जांच में पता चला है कि माणिक की पत्नी सतरूपा भट्टाचार्य का मृत्युंजय चट्टोपाध्याय नामक व्यक्ति के साथ बैंक में ज्वाइंट एकाउंट है और उक्त व्यक्ति की मृत्यु वर्ष 2016 में हो चुकी है. मृत्युंजय की मृत्यु के बाद भी वर्ष 2019 में उनके बैंक एकाउंट का केवाइसी अपडेट किया गया, जिसमें मृतक के दस्तावेज भी दिये गये. हालांकि, केवाइसी अपडेट के दौरान मृत्युंजय की मौत के बारे में बैंक को अवगत नहीं कराया गया. इस बैंक अकाउंट को चालू रखने का क्या कारण था? यह जांच का विषय है कि आखिर ऐसा क्यों किया गया.अदालत में सुनवाई के दौरान ईडी के अधिवक्ता के दावे को लेकर माणिक के वकील ने कहा था कि मृत्युंजय सतरूपा के रिश्तेदार हैं. यह बैंक अकाउंट वर्ष 1981 से ही है. हालांकि, अकाउंट का केवाइसी अपडेट को लेकर जवाब स्पष्ट नहीं मिल पाया.
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