कोलकाता : कोविड-19 (Covid-19) की जांच को लेकर केंद्र और ममता सरकार के बीच टकराव थम नहीं रहा है. हर दिन एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की झड़ी लग रही है. इसी कड़ी में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) ने कोविड-19 (Covid019) से निपटने के लिए राज्य की तैयारियों का जायजा लेने के लिए भेजी गयी टीम पर बुधवार को केंद्र सरकार की आलोचना की है. साथ ही मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि राज्य को खराब जांच किट भेजी गयीं. अब प्रदेश भाजपा ने भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर लॉकडाउन तोड़ने का आरोप लगाया है. वहीं राज्यपाल जगदीप धनखड़ को एक बार फिर पत्र लिख कर राज्य सरकार पर मेडिकल कॉलेज कोलकाता के डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मियों और मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है.
एक दिन पहले ही पश्चिम बंगाल (West Begnal) और केंद्र के बीच राज्य में दो केंद्रीय दलों के पहुंचने के विषय पर गतिरोध सामने आया था. मुख्यमंत्री बनर्जी (Mamta Banerjee) ने कहा, ‘‘रोजाना यह अफवाह फैलायी जा रही है कि बंगाल में कोविड-19 (Covid019) के लिए केवल कुछ नमूने ही जांचे जा रहे हैं. यह पूरी तरह झूठ है. बंगाल को खराब किट भेजी गयीं, जिन्हें अब वापस ले लिया गया है. हमें पर्याप्त जांच किट भी नहीं मिलीं.” उन्होंने कहा, ‘‘वे (केंद्र) हमें रोजाना बता रहे हैं कि क्या करना है और क्या नहीं करना.
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कानून व्यवस्था की स्थिति देखने के लिए और कोरोना वायरस (Coronavirus) के खिलाफ हमारी तैयारी का जायजा लेने के लिए लोगों को भेज रहे हैं. वे कड़े शब्दों में पत्र लिखकर हमें भेज रहे हैं. हम भी उन्हें पत्र भेज सकते हैं, लेकिन यह कोई मुद्दा नहीं है.” बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए वो सब कर रही है, जो वह कर सकती है.
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इससे पहले मंगलवार को गृह मंत्रालय ने इंटर मिनिस्ट्रेरियल सेंट्रल टीम (IMCT) के सदस्यों को सहयोग नहीं करने संबंधी पत्र पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा को लिखा था. वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) समेत सात अन्य मेडिकल संस्थाओं ने भी पत्र लिख कर ममता सरकार से कोरोना संक्रमण को लेकर रियल टाइम डाटा जारी करने और रोजाना एक मेडिकल बुलेटिन जारी करने की मांग की थी.
गौरतलब है कि राज्य की ममता बनर्जी सरकार ने इंटर मिनिस्ट्रेरियल सेंट्रल टीम (IMCT) के सदस्यों के राज्य में आने की जानकारी सही समय पर नहीं देने की बात कही थी. साथ ही केंद्रीय टीम द्वारा राज्य सरकार को अंधेरे में रखने का आरोप लगाया गया था. वहीं, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की ओर से आपूर्ति की गयी टेस्टिंग किट पर भी सवाल उठाया गया था. ममता सरकार का आरोप था कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए की जा रही जांच के परिणाम बिना किसी नतीजे के आ रहे हैं, जिससे इस प्रक्रिया में देरी हो रही है.
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विजयवर्गीय ने फिर लिखा राज्यपाल को पत्र
भाजपा के महासचिव और प्रदेश भाजपा के केंद्रीय प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) ने बुधवार को फिर राज्य के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) को पत्र लिखा. पत्र में श्री विजयवर्गीय ने राज्य सरकार पर मेडिकल कॉलेज कोलकाता के डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मियों और मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया.
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श्री विजयवर्गीय ने कहा कि 21 अप्रैल, 2020 को एक पत्र के माध्यम से आपके सामने मेडिकल कॉलेज कोलकाता एमबीबीएस इंटर्न चिकित्सकों को बिना सुरक्षा उपायों के काम करने का मुद्दा रखा था. बिना सुरक्षा इंतजामों के वे अपना दायित्व निभा रहे हैं और स्वास्थ्यकर्मी कोरोना वायरस (Coronavirus) की चपेट में आ रहे हैं. मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर वायरस के संक्रमण की शिकार हुए हैं. मेडिकल कॉलेज के सभी चिकित्सकों ने प्रशासन और उच्च पदों पर आसीन अधिकारियों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है.
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करने के कारण बड़ी संख्या में चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मचारियों के संक्रमण होने का खतरा है. चिकित्सकों की बार-बार अपील पर कॉलेज प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है. मरीजों का इलाज करने वाले चिकित्सकों को पीपीई किट उपलब्ध नहीं करायी गयी है. विभाग में केवल एक किट हैं. अस्पताल में कचरा निस्तारण की व्यवस्था नहीं है. ऐसे हालात में स्वास्थ्य कर्मचारी व उनके परिवार के साथ ही मरीजों और उनके तीमारदारों के संक्रमित होने की पूरी आशंका है.
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ऐसे में संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए आइसोलेशन वार्ड, सभी कर्मचारियों की जांच व कर्मचारियों की उचित आवास की व्यवस्था करने की आवश्यकता है. अगर ऐसा नहीं हुआ, तो सामुदायिक संक्रमण को नहीं रोका जा सकता है. इसके खतरनाक परिणाम होंगे. उन्होंने राज्यपाल से इस संबंध में अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश देने का आग्रह किया.
सड़क पर उतरकर लॉकडाउन तोड़ रही हैं मुख्यमंत्री : दिलीप घोष
प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सड़क पर उतरकर लॉकडाउन तोड़ने और ड्रामा करने का आरोप लगाया . श्री घोष ने बुधवार को साल्टलेक स्थित अपने आवास पर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि इस देश में कोई भी मुख्यमंत्री सड़क पर उतरकर मास्क वितरित नहीं कर रही हैं और न ही लोगों को सचेत कर रही हैं. यह काम अधिकारियों का है.
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केवल बंगाल की मुख्यमंत्री ही सड़कों पर उतर कर लॉकडाउन तोड़ रही हैं. इससे आमलोग भी उनसे प्रेरित हो रहे हैं. मुख्यमंत्री खुद ही मास्क बांट रही हैं. खुद ही दुकानों के सामने गोला बना रही हैं. उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से ड्रामा है और राजनीति है. मुख्यमंत्री के आज बालीगंज व पार्क सर्कस इलाके में दौरा करने पर श्री घोष ने कहा कि मुख्यमंत्री भयभीत हैं कि केंद्रीय टीम आने पर कहीं लोग निकल न जायें. इसलिए वह इस इलाके में गयी थी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री उनसे लॉकडाउन तोड़ने वालों से माफी मांग रही हैं, जबकि जो लोग घर में बंद हैं, जो लोग उनका पालन कर रहे हैं, उनके बारे में कुछ भी नहीं कह रही हैं.
उन्होंने मुख्यमंत्री पर कोरोना से संबंधित जानकारी छिपाने का आरोप लगाते हुए कहा कि बंगाल की स्थिति और बिगड़ेगी. बंगाल महामारी के कगार पर खड़ा है. श्री घोष ने कहा कि केंद्रीय पर्यवेक्षक दल के साथ सरकार सहयोग नहीं कर रही है, लेकिन जब उन्हें आपदा प्रबंधन कानून की बात बतायी गयी, तो उनके साथ सरकार सहयोग की बात कही. लेकिन, कोलकाता में अभी भी उनके साथ सहयोगात्मक रवैया नहीं है. उन्होंने कहा कि अस्पतालों की हालत बद से बदतर होते जा रहे हैं. व्यवस्था बुरी तरह चरमरा रही है. राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग के द्वारा आंकड़े अलग-अलग हैं.
श्री घोष ने राज्यपाल का बचाव करते हुए कहा कि राज्यपाल अपने व्यक्तिगत हित के लिए नहीं, बल्कि राज्य हित में बातें कर रहे हैं, जबकि मुख्यमंत्री और उनके मंत्री उन पर व्यक्तिगत हमले कर रहे हैं. आज यह नया नहीं है. जब से राज्यपाल का पद संभाला है, उन पर हमले किये जा रहे हैं. बादुरिया में राशन दुकानों पर झड़प पर खाद्य मंत्री पर हमला बोलते हुए श्री घोष ने कहा कि यह साबित हो गया कि खाद्य मंत्री पूरी तरह से विफल रहे हैं. उनके इलाके बशीरहाट और बादुरिया में राशन नहीं मिलने पर लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इससे उनकी असफलता पूरी तरह से साफ हो गयी है.