कोलकाता : वर्ष 1929 की वैश्विक मंदी (1929 Global Slowdown) से लेकर 1947 में भारत के विभाजन (Partition of India), 1943 में बंगाल में पड़े अकाल (1943 Drought in Bengal) और 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम (Bangladesh Mukti Sangram) तक देख चुके पश्चिम बंगाल (West Bengal) के कुछ सबसे बुजुर्ग लोगों ने कोरोना वायरस (Coronavirus Outbreak) को लेकर दुनियाभर में छाये संकट (Coronavirus Crisis) से शीघ्र निकलने की उम्मीद जतायी है. अपने जीवन के 100 वसंत पार कर चुके या उनके करीब पहुंच चुके कोलकाता (Kolkata) के ये बुजुर्ग कोविड-19 महामारी (Covid19 Pandemic) को लेकर बिल्कुल भी विचलित नहीं हैं. उन्हें उम्मीद है कि दुनिया और देश इस संकट से जल्द ही निकल जायेगा.
अपने समय के लोकप्रिय शास्त्रीय गायक, 104 वर्षीय दिलीप कुमार रॉय (Dilip Kumar Roy) ने अपने गरियाहाट निवास से फोन पर कहा, ‘मैं बहुत बीमार हूं. मैं अपने अंतिम दिन गिन रहा हूं. लेकिन, मुझे उम्मीद है कि दुनिया इस संकट से निकल जायेगी, जैसा कि अतीत में कई बार हुआ है.’ हालांकि, श्री रॉय ने कहा कि उन्होंने कभी भी इतने लंबे समय तक का बंद नहीं देखा.
जादवपुर विश्वविद्यालय Jadavpur University) के छात्रों के पूर्व डीन 99 वर्षीय हिमेंदु बिश्वास (Himendu Biswas) का कहना है कि लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से सुबह की सैर और अखबार पढ़ने की उनकी दैनिक क्रियाएं प्रभावित हुई हैं. श्री बिस्वास ने बताया, ‘समाचार पत्रों से अपडेट प्राप्त करने की मेरी दिनचर्या प्रभावित हुई है, क्योंकि मैंने एक युवा लड़के को काम पर रखा था, जो हर दिन आता था और मेरे लिए अखबार पढ़ता था. लेकिन मैं महत्वपूर्ण समाचारों के लिए टेलीविजन चैनल देख लेता हूं.’
पूर्व शिक्षक अशोक रॉय (99) का कहना है कि उन्होंने इससे पहले ऐसा बंद नहीं देखा. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति तो तब भी नहीं थी, जब जापानियों ने हवाई हमले किये थे और सेना के जवानों ने लोगों के बाहर निकलने पर रोक लगा दी थी. उन्होंने कहा कि लोगों को बेघर और गरीबों को खाना खिलाते हुए देखकर अच्छा लगता है. वर्ष 1943 के अकाल के दौरान मैं भी अपने कुछ दोस्तों के साथ लोगों के बीच खिचड़ी बांटता था.