कोलकाता (नवीन कुमार राय) : नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोलकाता यात्रा से पहले जनसंघ के संस्थापक एवं भाजपा के आदर्श पुरुष डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के वंशजों ने भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ विरोध का बिगुल फूंक दिया है.
बंगाल के विभिन्न हिस्सों में बिखरे हुए डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के परिवार के सदस्यों ने न केवल भाजपा का विरोध किया है, बल्कि यहां तक कहा है कि श्यामा प्रसाद के परिवार के सदस्य अपने स्तर से ही ‘जनसंघ’ का पुनर्निर्माण कर रहे हैं.
इस बाबत ‘भारतीय जनसंघ पार्टी’ का भी गठन किया गया है. बीजेएसपी को चुनाव आयोग की मान्यता 8 जनवरी 2021 को मिल गयी. खुद को श्यामा प्रसाद मुखर्जी के वंशज बताते हुए बीजेएसपी के प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत मुखर्जी ने कहा कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य की अधिकांश विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.
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बीजेएसपी ने चुनाव आयोग के पास पहले से ही एक प्रतीक के रूप में ‘जलते हुए दीपक’ की मांग वाली याचिका दायर की है. नये जनसंघ ने दावा किया है कि इस महीने के भीतर प्रतीकों के मुद्दे को अंतिम रूप मिल जायेगा.
भाजपा महासचिव सायंतन बसु के अनुसार, श्यामा प्रसाद मुखर्जी की एक बेटी जीवन भर हमारी पार्टी से जुड़ी रहीं. अब उनके परिवार का कोई सदस्य नहीं बचा है. सायंतन बसु ने दावा किया कि अब यदि कोई दावा करता है कि वह डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का वंशज है या उस परिवार का सदस्य है, तो इससे भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है.
नये जनसंघ का बनना क्यों जरूरी है, यह पूछे जाने पर सुब्रत मुखर्जी कहते हैं, जनसंघ का 1986 में जनता पार्टी में विलय हो गया था. भाजपा में जनसंघ का विलोप ही भाजपा के जन्म का कारण है. भाजपा ने हमेशा यह मांग की है कि डॉ श्यामा प्रसाद की विचारधारा को ध्यान में रखकर आगे बढ़ रहे हैं.
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हालांकि, बीजेएसपी ने आरोप लगाया कि भगवा शिविर ने श्यामा प्रसाद की ‘मृत्यु रहस्य’ का खुलासा करने में अभी तक कोई रुचि नहीं दिखायी है. राजनीतिक आंकड़ों के मुताबिक, पहली एनडीए सरकार बनने से बहुत पहले, भाजपा ने अखिल भारतीय स्तर पर अपनी आवाज उठायी थी और श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मौत के रहस्य का अनावरण करने की मांग की थी.
उन्होंने कहा कि अजीब बात है कि पहले एनडीए शासन के दौरान (1996 में 13 दिन, 1999 में 13 महीने और 2004-09 में पांच साल), नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली मौजूदा एनडीए सरकार के दौरान भी भाजपा ने कभी भी उस मौत के रहस्य से पर्दा नहीं उठाया.
इस बीच, भाजपा ने पार्टी स्तर पर 2004 में दावा किया था कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी की रहस्यमयी मौत के पीछे नेहरू की साजिश थी. लेकिन पार्टी स्तर पर यह बात रह गयी. भाजपा ने उस रहस्य से पर्दा उठाने के लिए आज तक कुछ नहीं किया.
हालांकि, राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव के पूर्व डॉ श्यामा प्रसाद को फिर से सामने लाकर हिंदुत्व की राजनीति को ‘हवा’ देना ही एकमात्र उद्देश्य है. नयी पार्टी श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बारे में भाजपा की चुप्पी को दोयम दर्जे का व्यवहार बता रही है.
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत मुखर्जी के अनुसार, भाजपा शुरू से कहती रही है कि शेख अब्दुल्ला के साथ मिलकर नेहरू ने उनकी हत्या की साजिश रची थी. उस साजिश में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु हो गयी. जब 22 जून, 1951 को श्यामा प्रसाद का निधन हुआ, तो नेहरू के मंत्रिमंडल में सरदार वल्लभभाई पटेल गृह मंत्री थे.
उन्होंने कहा कि वल्लभभाई पटेल को श्यामा प्रसाद के खिलाफ साजिश के बारे में पता नहीं था, यह कैसे हो सकता है! यदि यह सही है, तो हजारों करोड़ रुपये की लागत से वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा स्थापित करके भाजपा क्या साबित करना चाहती है? बीजेएसपी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाकर चुनाव के मैदान में लोगों के सामने सच्चाई लाने की बात कह रही है.
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Posted By : Mithilesh Jha