कोलकाता सहित पूरे भारतवर्ष में नवरात्रि या दुर्गा पूजा का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. दुर्गा पूजा कोलकाता में कुछ अलग ही अंदाज से मनाया जाता है. देश के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं. पंडालों में जाकर मां दुर्गा का दर्शन करते हैं. विदेशों से भी लोग आते हैं. वर्ष 2021 में यूनेस्को (UNESCO) ने कोलकाता की दुर्गा पूजा को मानवता की सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किया.
दो साल के कोरोना संकट के बाद इस बार कोलकाता में दुर्गा पूजा देखने लायक है. अगर आप दुर्गा पूजा घूम रहे हैं या घूमने जाने की योजना बना रहे हैं, तो आपको यह जानना चाहिए कि आपको किन जगहों पर जरूर जाना चाहिए. किन चीजों का लुत्फ आप दुर्गा पूजा के दौरान कोलकाता में उठा सकते हैं. आइए, हम आपको कोलकाता में दुर्गा पूजा पंडालों के साथ-साथ उसकी खूबियों के बारे में भी बताते हैं. यह भी बताते हैं कि अगर थक गये, तो थकान कैसे मिटायें.
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दुर्गा पूजा घूमते-घूमते थक जायें, तो आप थोड़ी देर आराम कर लें. पूजा पंडाल के आसपास ही आपको तरह-तरह के व्यजंन मिल जायेंगे. स्थानीय मिठाइयों के साथ-साथ आप मिष्टी दोई (मीठी दही), संदेश, कोलकाता का प्रसिद्ध पुचका (गोलगप्पा, पानी पूड़ी या बताशा पुड़ी), रूटी आलूर दोम (रोटी आलू दम) समेत कई लजीज व्यंजन आपको तृप्त कर देंगे.
इस बार पूजा के पहले ही पर्यटकों के लिए पूरे महानगर में अनगिनत रेस्टोरेंट खुल गये. यदि कोलकाता महानगर में हाथी बागान, शोभा बाजार, श्याम बाजार, काशीपुर, बेलगछिया, मानिकतल्ला में घूमते-घूमते पहुंच गये हैं, तो आपको इन इलाकों में ढेर सारे रेस्टोरेंट्स मिल जायेंगे. ये रेस्टोरेंट्स दुर्गा पूजा के लिए स्पेशल डील लेकर आये हैं. स्पेशल डिश भी लाये हैं.
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इन रेस्टोरेंट्स में रसीले कबाब और करी नान और फिरनी समेत व्यंजनों की विस्तृत शृंखला है. इसमें करी चिकन, जहांगीरी मटन, रारा मसाला, कोलकाता बिरयानी चिकन हांडी, लजीज मटन कोरमा और कई अन्य व्यंजन शामिल हैं. इन इलाकों में रेस्टोरेंट देर रात तक अपनी सेवा देंगे.
विजयदशमी के दिन मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है. मां दुर्गा के विसर्जन वाले दिन बंगाली महिलाएं सिंदूर खेलती हैं. यह एक अनोखा अनुभव होता है. दुर्गा पूजा पंडाल में ही औरतें सिंदूर खेलती हैं. एक-दूसरे के गाल पर लाल सिंदूर लगाती हैं. महिलाएं नाचती-गाती हैं और मां को विदा करती हैं. मां दुर्गा से मनुहार भी करती हैं कि मां अगले बरस फिर आना. वे कहती हैं- आसछे बोछोर, आबार होबे…
कोलकाता सहित पूरे बंगाल में राजबाड़ियों में सदियों से दुर्गा पूजा होती आ रही है. जमींदार तो नहीं रहे, पर उनकी राजबाड़ी (जिस भवन में राजे-रजवाड़े रहते थे, उसे बंगाल में राजबाड़ी कहते हैं) में आज भी पूजा का आयोजन किया जाता है. इसमें शोभा बाजार राजबाड़ी सबसे प्रसिद्ध है. राजबाड़ी में रहने वाले परिवार के सभी सदस्य दुर्गा पूजा परंपरागत रीति-रिवाज के साथ करते हैं.
चलता बागान, स्वभूमि दुर्गोत्सव कमेटी, मोहम्मद अली पार्क, कुम्हारटोली पार्क, पांच पल्ली, 21 पल्ली, संतोष मित्रा स्क्वायर, एकडालिया, बाबू बागान क्लब सार्वजनिक दुर्गा पूजा, दम दम पार्क, तरुण संघ, बालीगंज कल्चरल एसोसिएशन पूजा पंडाल, बादामतला संघ, नाकतला उदयन संघ, एकडलिया एवरग्रीन क्लब, मुदियाली क्लब में दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन किया जाता है. ये समितियां बड़े-बड़े पंडाल बनाती हैं और बेहद आकर्षक विद्युत सज्जा भी करती हैं.