कोलकाता : किसी भी चुनाव में मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए काला धन व शराब का जमकर इस्तेमाल होता है. लोकसभा चुनाव के दौरान भी बंगाल में काला धन के प्रयोग व शराब की खपत में काफी वृद्धि हुई थी. लोकसभा चुनाव के अनुभव को ध्यान में रखते हुए भारतीय निर्वाचन आयोग इस बार पहले से ही तत्पर है और बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में काला धन व शराब की खपत पर अंकुश लगाने की प्रक्रिया अभी से शुरू कर दी है.
चुनाव की तारीखों की घोषणा के पहले ही आयोग ने आयकर, राज्य सरकार, प्रवर्तन निदेशालय, आबकारी विभाग, सीमा शुल्क विभाग को निगरानी बढ़ाने का निर्देश दे दिया है. इन विभागों को मतदान के समय विभिन्न खातों में होने वाले लेन-देन पर कड़ी नजर रखने का निर्देश दिया जा चुका है.
चुनाव आयोग ने आबकारी विभाग को स्पष्ट कह दिया है कि अगर किसी दुकान की बिक्री अचानक अस्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है, तो इसके कारण का पता लगाना होगा और इसकी जानकारी तुरंत आयकर व प्रवर्तन निदेशालय को देनी होगी. इससे निगरानी करना और भी आसान होगा.
आयोग का मानना है कि भले ही चुनाव की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन भावी उम्मीदवार अभी से ही शराब एकत्रित कर सकते हैं. इसलिए आयोग पहले से ही इसको लेकर सतर्क है. अगले कुछ दिनों में सरस्वती पूजा है. इस पूजा के दौरान भी पार्टी का आयोजन होता रहा है. इस प्रकार की पार्टियों का प्रायोजक कौन है, वहां कोई नेता या मंत्री जा रहे हैं या नहीं इस पर नजर रखने का निर्देश दिया गया है.
जानकारी के अनुसार, पिछले लोकसभा चुनाव में दुर्गापुर, आसनसोल, साल्टलेक, सिलीगुड़ी में इस प्रकार के पार्टियों व कार्यक्रमों पर चुनाव आयोग की नजर पड़ी थी. बंगाल में चुनाव के दौरान हिंसा को काबू में करना आयोग के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.
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वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद मतदान शुरू होने से पहले 41 दिनों में आयोग ने 27 करोड़ 79 लाख रुपये काला धन जब्त किया था. 12 लाख 63 हजार लीटर अवैध शराब भी बरामद हुई थी. मतदान प्रक्रिया पूरी होने तक जब्त काला धन का आंकड़ा बढ़कर 65.59 करोड़ रुपये और जब्त शराब का बाजार मूल्य 112 करोड़ रुपये हो गया था.
Posted By : Mithilesh Jha