गंगासागर से शिव कुमार राउत. सब तीरथ बार-बार, गंगासागर एक बार. ऐसा इसलिए कहते हैं, क्योंकि गंगा और सागर की पावन मिलन स्थली यानी सागरद्वीप जाने का रास्ता बेहद दुर्गम है. लंबे सड़क मार्ग के बाद विशाल मूड़ी गंगा पार करनी पड़ती है. नदी पार करने के लिए भी श्रद्धालुओं को वेसल के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है.
लाखों की भीड़ उमड़ती है पुण्य स्नान करने के लिए
ऐसे में मकर संक्रांति के पावन अवसर पर गंगासागर की तीर्थयात्रा और भी कठिन हो जाती है. क्योंकि पुण्य स्नान करने लाखों की भीड़ उमड़ पड़ती है. हालांकि, एक बार गंगासागर पहुंच जाने पर मुश्किलें आसान होने लगती हैं. कई किलोमीटर तक फैले गंगासागर के विशाल तट पर पुण्य स्नान करने में परेशानी नहीं होती. लेकिन, इस बार सागर में आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालु आसानी से पुण्य स्नान नहीं कर सकेंगे.
सागर तट पर लग गया है दलदल का अंबार
कारण, गंगासागर के तट पर अचानक से दलदल का अंबार लग गया है. ऐसा पहली बार देखा गया है. जिला प्रशासन का कहना है कि पिछले कुछ समय में आये चक्रवातों के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है. तट पर मौजूद रेत पानी में बह गया है और समुद्र के नीचे की मिट्टी ऊपर आ गयी है. इस कारण पूरा तट दलदली मिट्टी से भर गया है. इससे तीर्थयात्रियों को पुण्य स्नान करने में काफी परेशानी हो सकती है.
पुण्य स्नान के लिए कम पड़ सकती है जगह
घाट पर मिट्टी अधिक होने के कारण स्नान के लिए स्नान के लिए जगह कम पड़ सकती है. लोगों को दलदल पार कर नहाने जाना होगा. हालांकि, इस समस्या के समाधान के लिए सागर तट पर काफी संख्या में सिविल पुलिस तैनात किये गये हैं. मेला परिसर के तीन नंबर मुख्य घाट के सामने रेत की बोरियां रख दी गयी है, ताकि घाट तक जाने में लोगों को सहूलित हो.
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