कोलकाता : कोरोना वायरस महामारी के चलते पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश से लगी भारत की सीमा पर पिछले कुछ हफ्तों में मादक पदार्थों, मवेशियों और जाली नोटों की तस्करी के अलावा घुसपैठ में भी अब तक की सर्वाधिक कमी दर्ज की गयी है. बीएसएफ के अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
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पश्चिम बंगाल से लगी बांग्लादेश की सीमा दशकों से तस्करी और घुसपैठ के लिये कुख्यात रही है और यह राज्य में राजनीतिक रूप से भी एक ज्वलंत मुद्दा रहा है.
बीसीएफ के महानिरीक्षक (आईजी), दक्षिण बंगाल सीमांत, वाईबी खुरनिया ने कहा, ‘हम निगरानी कर रहे हैं. इस संदर्भ में कोई ढील नहीं दी गयी है. लेकिन, दक्षिण बंगाल सीमांत क्षेत्र में तस्करी, जाली नोटों का कारोबार और घुसपैठ अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गयी है. यह नगण्य है.’
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जाली नोट, सोना और चरस की तस्करी कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के चलते दक्षिण बंगाल में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गयी है. बंगाल सीमांत के बीएसएफ के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जाली नोटों का कारोबार मुख्य रूप से राजशाही सेक्टर में होता है.
उन्होंने कहा कि बाड़ के इस ओर बांग्लादेश की ओर से जो नोट फेंके जा रहे हैं, वे अब बहुत ही दोयम दर्जे के हैं. फोटोकॉपी की तरह. हम यह कह सकते हैं कि जाली नोटों की तस्करी में काफी कमी आयी है. बीएसएफ इस सफलता का श्रेय सीमा पर निगरानी बढ़ाये जाने और सीमा को सील करने को देता है.
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बंगाल से बांग्लादेश की 2,216.7 किलोमीटर सीमा लगती है. इनमें से 915 किमी दक्षिण बंगाल सीमांत से जुड़ी हुई है. अधिकारी ने बताया कि संशोधित नागरिकता अधिनियम पिछले साल दिसंबर में पारित होने और अखिल भारत स्तर पर राष्ट्रीय नागरिक पंजी लागू किये जाने की आशंका के मद्देनजर बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ में पहले से ही कमी आ गयी थी.
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के फैलने से यह अब तक के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गयी है. अधिकारी ने बताया कि 25 मार्च से 10 अप्रैल के बीच सिर्फ 13 बांग्लदेशी नागरिकों को पकड़ा गया है. वर्ष 2019 में इसी अवधि में यह आंकड़ा 33 था.