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उक्त कर्मियों के स्कूल में घुसने एवं वेतन पर लगायी रोक
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अब तक मिला हुआ वेतन लौटाने पर फैसला बाद में
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स्कूल सेवा आयोग व माध्यमिक शिक्षा पर्षद को शनिवार दोपहर तक आदेश का अनुपालन करने का दिया निर्देश
राज्य शिक्षा विभाग में शिक्षक एवं गैर-शिक्षक पदों पर हुईं नियुक्तियों में व्यापक स्तर पर धांधली हुई है. अवैध नियुक्तियों पर कलकत्ता हाइकोर्ट भी सख्त है. शुक्रवार को हाइकोर्ट ने ग्रुप-सी के 842 कर्मचारियों की नौकरियां रद्द करने का आदेश दिया. हाइकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इनमें से कोई भी स्कूल में प्रवेश नहीं कर सकता है. स्कूल में कुछ छू भी नहीं सकता है. कोर्ट ने इनके वेतन पर भी रोक लगा दी है और कहा कि अब तक मिला वेतन वापस देने के मुद्दे पर बाद में फैसला लिया जायेगा.
न्यायाधीश अभिजीत गांगुली ने उक्त फैसला सुनाते हुए स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) को शनिवार तक अदालत के आदेशानुसार कदम उठाने का निर्देश दिया. हाइकोर्ट ने आयोग से कहा कि वह शनिवार दोपहर 12 बजे तक सिफारिश रद्द दे. उसके बाद पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा पर्षद शनिवार को ही अपराह्न तीन बजे तक इन 842 कर्मचारियों की नियुक्ति रद्द करेगा. हाइकोर्ट ने आयोग को 785 लोगों का अनुशंसा पत्र निरस्त करने का निर्देश दिया. शेष 57 लोगों को आयोग ने कोई अनुशंसा पत्र नहीं दिया. इसके लिए पर्षद को इन लोगों की नियुक्तियां रद्द करने का आदेश दिया गया है
हाइकोर्ट ने इन 842 रिक्त पदों पर आगामी 10 दिनों में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का भी निर्देश दिया. हाइकोर्ट ने कहा कि वेटिंग लिस्ट के उम्मीदवारों को काउंसिलिंग के लिए बुलाना होगा. यदि वेटिंग लिस्ट में भी किसी ऐसे अभ्यर्थी का नाम है, जिसकी ओएमआर शीट में हेराफेरी का आरोप है, तो वैसे अभ्यर्थी को काउंसिलिंग के लिए नहीं बुलाया जा सकता. मामले की अगली सुनवाई 25 मार्च को होगी. इसके पहले काउंसिलिंग की प्रक्रिया पूरी कर लेनी होगी.
एसएससी ने राज्य के सरकारी स्कूलों में ग्रुप-सी पद पर नियुक्ति के लिए 2016 में रिजनल लेवल सेलेक्शन टेस्ट (आरएलएसटी)का आयोजन कराया. इसके आधार पर 2037 अभ्यर्थियों की नियुक्ति की गयी. इनमें से 842 अभ्यर्थियों की नियुक्तियां रद्द करने का आदेश हाइकोर्ट ने शुक्रवार को दिया. इससे पहले नौवीं और 10वीं कक्षा में पढ़ाने वाले 775 अभ्यर्थियों और ग्रुप डी के 1911 उम्मीदवारों की नियुक्तियां खारिज की गयीं.