पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में जिस तरह के आकंड़े मिल रहे है उन्हें लेकर न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह से धंधाली हुई है जिसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है. वहीं कलकत्ता हाई कोर्ट के अन्य न्यायाधीश विश्वजीत बसु ने कहा कि यह सिर्फ हिमशैल का सिरा है ,पूरा हिमखंड पानी के नीचे है, एक के बाद एक आंकड़े डराने वाले है. अगर हम इस तरह से शिक्षकों की नियुक्ती करते आ रहे है तो बंगाल का भविष्य अंधेरे में है.
सीबीआई द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट के बाद पैसे के बदले अवैध रूप से स्कूल की नौकरी पाने वालों के बारे में जस्टिस बसु ने टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या ये शिक्षक समाज का निर्माण करेंगे? भविष्य में, छात्र शिक्षकों पर उंगली उठाकर पूछेंगे कि वे किस तरह के शिक्षक हैं?” पहले कचरा साफ करें.पूरे पैनल को बर्खास्त कर देना चाहिए़. ऐसी व्यवस्था की जाए जिससे अवैध रूप से नियुक्त लोग सरकारी भर्ती प्रक्रिया में भाग न ले सकें. जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय इस भ्रष्टाचार से लड़ रहे हैं, मैं उनसे जुड़ रहा हूं.
सीबीआई द्वारा बुधवार को न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय की पीठ के समक्ष पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल दो प्रश्नों का उत्तर देकर और एक श्वेत पत्र जमा करके उन्हें नौवीं-दसवीं और ग्यारहवीं-बारहवीं कक्षा के शिक्षण में भर्ती के लिए मेरिट सूची में स्थान मिला. ग्रुप-सी और ग्रुप-डी स्तर की नौकरियां कम से कम आठ हजार लोगों की नियुक्ती की गई है. यह सुनकर जस्टिस गंगोपाध्याय हैरान रह गए. न्यायाधीश ने इन आठ हजार में से अनुशंसा पत्र और नियुक्ति पत्र प्राप्त करने वालों की सूची तैयार करने का आदेश दिया है.सीबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक नौवीं-दसवीं में 952, ग्यारहवीं-बारहवीं में 907, ग्रुप-सी में 3,481 और ग्रुप-डी में 2,823 लोगों को ओएमआर फ्रॉड के जरिए नौकरी मिली है. यानी सीबीआई की शिकायत के मुताबिक नियमों का उल्लंघन कर कुल 8,163 लोगों को नौकरी दी गई है. ऐसे में इस मामले की जांच करने का निर्देश दिया गया है.