पश्चिम बंगाल के कलकत्ता हाइकोर्ट ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को यह जांच करने का निर्देश दिया कि किसके कहने पर पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) ने राज्य सरकार के विद्यालयों में अतिरिक्त पदों का सृजन कर अवैध रूप से के भर्ती किये गये कर्मचारियों की नौकरी भीत सुरक्षित करने के लिए एक आवेदन दायर किया था. सीबीआई हाइकोर्ट के पहले के आदेशों पर इस तरह के स्कूलों में अवैध नियुक्तियों की जांच कर रही है. न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली ने सीबीआइ को निर्देश दिया कि इस तरह का आवेदन दाखिल करने का फैसला लेने या निर्देश देने के स्रोत के बारे में रिपोर्ट सात दिन के भीतर अदालत में दाखिल की जाये. जस्टिस गांगुली ने आदेश दिया, मै सीबीआई को निर्देश देता हूं कि यह पता लगाने के लिए आज शाम से ही जांच के तत्काल कदम उठाये जाए कि यह किसकी देन है.
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मामले में अदालत ने गुरुवार को राज्य के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव मनीष जैन को भी हाइकोर्ट में हाजिर होकर जवाब देने के लिए कहा है. न्यायाधीश ने कहा कि शिक्षा सचिव को भी जेल जाना पड़ सकता है. ऐसे में आज सुबह ही मनीष जैन कोर्ट में पेश हो गये है. जहां उनसे पूछताछ की जा रही है.
गौरतलब है कि हाइकोर्ट के निर्देश पर स्कूल सेवा आयोग के चेयरमैन सिद्धार्थ मजूमदार व सचिव ने सभी दस्तावेज जमा किये हैं. इस पर न्यायाधीश ने आयोग के चेयरमैन से पूछा कि क्या आयोग ने कोई प्रस्ताव पेश किया है. इस प्रकार के निर्देश की कॉपी क्या जमा की गयी है. इस पर चेयरमैन ने कहा कि आयोग ने इस ते तरह का कोई निर्देश जारी नहीं किया. हालांकि उन्होंने कहा कि हाइकोर्ट में इसे लेकर अगर कोई आवेदन हुआ है तो आयोग के चेयरमैन होने के नाते वह इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं. इस पर न्यायाधीश ने कहा कि किसी और की गलती की जिम्मेदारी आप क्यों लेंगे. हम ऐसा न नहीं होने देंगे.
अदालत कहा कि एसएससी द्वारा पेश फाइलों का अध्ययन करने के बाद उसे ऐसे किसी निर्देश के बारे में पता नहीं चला जो आयोग के वकीलों को इस तरह का आवेदन दाखिल करने के लिए दिया गया हो. मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने कहा कि भले ही आयोग के नाम पर ये आवेदन किये गये हैं, लेकिन आयोग ने यह आवेदन नहीं किया है. आयोग को सामने रख किसी ने ऐसा किया है. जस्टिस गांगुली ने कहा कि शिक्षा मंत्री यदि अदालत में मामला करना चाहते हैं तो उनका स्वागत है. अगर कोई ‘दलाल’ भी आवेदन करना चाहता है तो उसका भी स्वागत है. लेकिन ऐसे पहचान छिपा कर कौन आयोग के नाम पर आवेदन कर रहा है, उसे सामने लाना जरूरी है.