कोलकाता: बिहार में विधासनभा चुनाव 2020 के नतीजे घोषित होने के बाद पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. एक ओर बिहार के सीमांचल में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है, तो दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता शुभेंदु अधिकारी बगावत पर उतर आये हैं.
शुभेंदु अधिकारी, जो तृणमूल कांग्रेस में नंबर दो के नेता माने जाते हैं और ममता बनर्जी के बेहद करीबी हैं, ने नंदीग्राम में अलग रैली की. इसके बाद कैबिनेट की बैठक में भी शामिल नहीं हुए. इससे ममता की टेंशन बढ़ गयी है. राजनीतिक विश्लेषक इसे शुभेंदु अधिकारी की बगावत के रूप में देख रहे हैं. यदि शुभेंदु ने बगावत कर दी, तो ममता बनर्जी और उनकी सरकार के लिए यह बड़ा झटका साबित हो सकता है.
सिर्फ शुभेंदु अधिकारी ही नहीं, ममता सरकार के तीन और मंत्री भी कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं हुए. इन मंत्रियों के नाम राजीव बंद्योपाध्याय, रवींद्रनाथ घोष और गौतम देव हैं. ये तीनों शुभेंदु अधिकारी के करीबी माने जाते हैं. खबर है कि इन तीनों मंत्रियों की सुरक्षा वापस ले ली गयी है. बताया जा रहा है कि शुभेंदु लंबे अरसे से पार्टी में खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. शुभेंदु के समर्थक पहले ही कह चुके हैं कि वे अपने नेता की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं करेंगे.
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यह पहला मौका है, जब शुभेंदु ने सार्वजनिक रूप से बगावती तेवर दिखाये हैं. हालांकि, उनकी रैलियों के लिए जो पोस्टर लगाये जाते हैं, उसमें ममता बनर्जी की तस्वीर नहीं होती. करीब एक महीने से शुभेंदु ने तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी दोनों से दूरी बना रखी है. भाजपा ने उन्हें खुला ऑफर दे रखा है. हालांकि, शुभेंदु ने पार्टी छोड़ने और भाजपा ज्वाइन करने के मुद्दे पर अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. ज्ञात हो कि ममता बनर्जी की कैबिनेट में बुधवार को कई अहम फैसले को मंजूरी दी गयी.
नंदीग्राम में पहली बार उस वक्त शुभेंदु अधिकारी की बगावत नजर आयी, जब उन्होंने तृणमूल कांग्रेस से अलग रैली की और उसमें ममता बनर्जी की कोई तस्वीर नहीं दिखी. तृणमूल का सिंबल तक नहीं दिखा. रैली में शुभेंदु अधिकारी ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते नजर आये. इससे यह संकेत मिलने लगे कि वह ममता बनर्जी से दूरी बना रहे हैं और भाजपा के करीब जा रहे हैं. पिछले हफ्ते अमित शाह के दो दिन के बंगाल दौरे के बाद इस राजनीतिक सरगर्मी को उसी से जोड़ा जा रहा है.
Posted By : Mithilesh Jha