Kolkata News: कलकत्ता हाइकोर्ट के फर्जी आदेश की कॉपी दिखाकर निचली अदालत से जमानत पर रिहा होनेवाले सजायाफ्ता युवक को सीआइडी ने फिर से गिरफ्तार कर लिया है. घटना मुर्शिदाबाद के कांदी की है. इस खुलासे के बाद ही सीआइडी ने इस मामले में एक एफआइआर दर्ज किया था. इसके बाद इसकी जांच शुरू कर सीआइडी को सफलता मिली और आरोपी लाबू शेख को शनिवार रात हावड़ा स्टेशन परिसर के पास से गिरफ्तार कर लिया गया. आरोपी को रविवार को कांदी महकमा अदालत में पेश करने पर उसे 10 दिनों के लिए सीआइडी हिरासत में भेजने का निर्देश दिया गया है. इस मामले में कांदी सब-डिविजनल कोर्ट के सरकारी वकील सुभ्रा कुमार मिश्रा ने कहा, सीआइडी ने अदालत में कार्यवाहक न्यायाधीश से लाबू शेख को 14 दिनों के लिए सीआइडी हिरासत में भेजने का आवेदन किया था. अदालत ने 10 दिनों की सीआइडी हिरासत में भेजने की मंजूरी दे दी.
सीआइडी सूत्रों का कहना है कि अदालत के आदेश पर उन्होंने इस मामले की जांच शुरू कर दी थी. कांदी थाने में मामला दर्ज कर किया गया था. इस मामले में प्रमुख आरोपी को गिरफ्तार किया गया है. इधर, गिरफ्तार आरोपी लाबू शेख ने कहा, जमानत के लिए वकील से संपर्क किया गया था. हमें ऑर्डर की नकली कॉपी दी गयी है, इस बारे में मुझे जानकारी नहीं थी. मैंने नहीं सोचा था कि हमें नकली कागजात दिया जायेगा. उसने इससे जुड़े आरोपियों को ढूंढ निकालने एवं कड़ी सजा देने की मांग की है.
कांदी सब-डिविजनल कोर्ट के सरकारी वकील सुनील चक्रवर्ती ने कहा, गत 2015 में 12 अप्रैल को मुर्शिदाबाद जिले के भरतपुर थाने के हरिश्चंद्रपुर गांव में दो पक्षों के बीच बालू की दुकान पर हुई झड़प में अशरफ शेख नामक व्यक्ति की मौत हो गयी थी. मृतक के परिजनों ने भरतपुर थाने में इसकी लिखित शिकायत दर्ज करायी थी. इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने लाबू को गिरफ्तार किया गया था. 31 जनवरी 2018 को मुख्य आरोपी लाबू शेख को कांदी कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. कुछ दिन बाद लाबू के वकील सजा के खिलाफ उच्च अदालत में चले गये. 6 मार्च, 2021 को आरोपी लाबू शेख की जमानत के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गयी. इसके बाद कांदी डिविजन के जिला सत्र न्यायालय में कलकत्ता उच्च न्यायालय के फर्जी आदेश की कॉपी को प्रस्तुत किया गया. इसके बाद इस निर्देश को स्वीकार कर आरोपी को कांदी उप-विभागीय न्यायालय द्वारा जमानत दे दी गयी. ढाई साल बाद अदालत से कलकत्ता हाइकोर्ट के निर्देश की कॉपी लीक हो गयी. इधर, इसका खुलासा होने के बाद हाइकोर्ट ने सीआइडी को पूरे मामले की जांच का आदेश दिया था.