पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों में हुईं नियुक्तियों के घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किये गये पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी व उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी की न्यायिक हिरासत की अवधि बुधवार को समाप्त हुई. इस दिन दोनों आरोपियों की बैंकशाल अदालत स्थित स्पेशल पीएमएलए कोर्ट में वर्चुअली पेशी हुई. अदालत में ईडी के अधिवक्ता ने दोनों आरोपियों को जमानत नहीं देने आवेदन किया. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने पार्थ और अर्पिता को 7 जनवरी तक न्यायिक हिरासत में रखे जाने का निर्देश दिया.
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इस तरह साल का अंतिम दिन व नये साल का पहला दिन भी वे जेल में ही काटेंगे. इधर, अदालत में सुनवाई के दौरान पार्थ के अधिवक्ता ने अपने मुवक्किल की जमानत की याचिका तो नहीं की, लेकिन उन्होंने अपने मुवक्किल को अदालत में हाजिर नहीं होने की छूट प्रदान किये जाने का आवेदन किया. हालांकि, इस आवेदन के लिए कई कानूनी प्रक्रिया होती है, इसलिए अधिवक्ता ने चार सप्ताह का समय मांगा. मामले की अगली सुनवाई 31 जनवरी को हो सकती है.
ईडी सूत्रों द्वारा अदालत में पेश की गयी कॉपी में भी इसका जिक्र किया गया है. ईडी सूत्र बताते हैं कि पार्थ चटर्जी और माणिक भट्टाचार्य के खिलाफ मिले गवाहों से पूछताछ एवं हाथ लगे कागजातों की जांच में पता चला कि 10 से 12 लाख रुपये मिलते ही शहर में प्राइवेट लॉ कॉलेज एवं फार्मासिस्ट कॉलेज खोलने की अनुमति पत्र जारी कर दिया जाता था. राज्य सरकार के शिक्षा विभाग की तरफ से इसके लिए एनओसी लेटर भी तुरंत जारी हो जाता था. इस तरह से शिक्षा व्यवस्था की आड़ में दोनों ही नेता जमकर अवैध धन जमा कर रहे थे. इडी सूत्रों का कहना है कि जल्द दोनों से जेल में जाकर पूछताछ करने की तैयारी की जा रही है, जिससे और नये खुलासे हो सके.
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