कोलकाता : फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने कांग्रेस और लेफ्ट के साथ गठबंधन के लिए अपनी शर्त रखी है. अब्बास सिद्दीकी ने गठबंधन में 44 सीटें मांगी हैं. वामदलों का कहना है कि इस मुद्दे पर बातचीत चल रही है. वहीं, कांग्रेस ने कहा है कि अब्बास सिद्दीकी को महत्व देने की जरूरत नहीं है. तृणमूल कांग्रेस की आलोचना करते हुए फुरफुरा शरीफ ने पिछले दिनों चुनाव लड़ने का एलान कर दिया था.
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 से पहले फुरफुरा शरीफ के पीरजादा ने बांकुड़ा में आयोजित अपनी पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के एक कार्यक्रम से न केवल बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की आलोचना की थी, बल्कि प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उत्थान के लिए टीएमसी और उसकी नेता ममता बनर्जी को ही जिम्मेदार ठहराया था.
उल्लेखनीय है कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी एक दिन अचानक बंगाल के दौरे पर आये और एयरपोर्ट से सीधे फुरफुरा शरीफ पहुंच गये. वहां फुरफुरा शरीफ के पीरजादा के साथ बैठक करने के बाद ओवैसी ने एलान किया कि अब उनकी पार्टी की बागडोर अब्बास सिद्दीकी के हाथों में होगी.
ओवैसी ने कह दिया कि अब्बास सिद्दीकी जैसा कहेंगे, उनकी पार्टी एआईएमआईएम वैसा ही करेगी. असदुद्दीन ओवैसी के इस फैसले से एआईएमआईएम के कर्ता-धर्ता बेहद नाराज हो गये थे. उन्होंने कहा कि बंगाल में पार्टी को मजबूत करने वाले नेताओं से सलाह-मशविरा किये बगैर असदुद्दीन ओवैसी ने फुरफुरा शरीफ के आगे सरेंडर कर दिया.
इतना ही नहीं, ओवैसी की पार्टी के नेताओं ने यह भी कहा कि ओवैसी ने अब्बास सिद्दीकी के आगे सरेंडर नहीं किया है, पार्टी ने सुसाइड कर ली है. एआईएमआईएम का अब बंगाल में कुछ नहीं हो सकता. दूसरी तरफ, अब्बास सिद्दीकी, जो तृणमूल की जमकर आलोचना कर चुके हैं, कांग्रेस-वामदलों के साथ गठबंधन करना चाहते हैं, लेकिन कांग्रेस उन्हें महत्व देने के लिए तैयार नहीं है.
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Posted By : Mithilesh Jha