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हल्दिया में भाजपा के सुर में बोले शुभेंदु अधिकारी, कहा, हम पहले भारतीय, बाद में बंगाली

तृणमूल कांग्रेस के भीतरी और बाहरी के मुद्दे की पार्टी के बागी विधायक तथा पूर्व मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने हवा निकाल दी. यहां अपना रुख स्पष्ट करते हुए श्री अधिकारी ने मंगलवार (15 दिसंबर, 2020) को बाहरी और स्थानीय के मुद्दे पर कहा कि पहले हम सभी भारतीय हैं, उसके बाद बंगाली.

हल्दिया (आनंद सिंह) : तृणमूल कांग्रेस के भीतरी और बाहरी के मुद्दे की पार्टी के बागी विधायक तथा पूर्व मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने हवा निकाल दी. यहां अपना रुख स्पष्ट करते हुए श्री अधिकारी ने मंगलवार (15 दिसंबर, 2020) को बाहरी और स्थानीय के मुद्दे पर कहा कि पहले हम सभी भारतीय हैं, उसके बाद बंगाली.

पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस हाल के दिनों में लगातार भीतरी-बाहरी का मुद्दा उछाल रही है. ममता बनर्जी की पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके नेताओं को बाहरी करार दिया है. स्वाधीनता सेनानी सतीश चंद्र सामंत की जयंती पर हल्दिया में आयोजित एक गैर-राजनीतिक कार्यक्रम में श्री अधिकारी ने ये बातें कहीं.

शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि बंगाल भारत का ही हिस्सा है. दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों को बाहरी नहीं कहा जा सकता. पहले हम सभी भारतीय हैं, फिर बंगाली. सतीश चंद्र सामंत मेदिनीपुर के दिग्गज सांसद थे. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू उनका काफी सम्मान करते थे.

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श्री अधिकारी ने कहा, ‘न तो श्री सामंत ने पंडित नेहरू को कभी बाहरी कहा और न ही पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें कभी गैर-हिंदीभाषी सांसद कहा. दोनों के बीच आपसी सम्मान था.’ तृणमूल कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने कहा कि बंगाल में पार्टी के लिए ही सब कुछ क्यों हो? यहां लोकतंत्र है.

कभी तृणमूल कांग्रेस में ममता बनर्जी के बाद दूसरे नंबर के नेता रहे शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि भारतीय संविधान के नियम के मुताबिक, सब कुछ होना चाहिए. हमारा संविधान कहता है, ‘लोगों के द्वारा, लोगों का और लोगों के लिए’. उन्होंने कहा कि वह पद के लोभी नहीं हैं. आजीवन जनता के लिए ही काम करते रहे.

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वर्ष 2007 के नंदीग्राम आंदोलन का श्रेय किसी व्यक्ति विशेष या पार्टी को न देते हुए श्री अधिकारी ने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल या व्यक्ति का नहीं, बल्कि यह जनता का आंदोलन था. श्री अधिकारी ने कहा कि मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद भी उनकी सभाओं में भीड़ होती है. दरअसल, यह उनका और जनता के बीच आत्मिक संबंध है. किसी की इच्छा से इस संबंध को खत्म नहीं किया जा सकता.

Posted By : Mithilesh Jha

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