पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हाजरा पार्क दुर्गोत्सव कमेटी हर वर्ष अपने मंडप में अलग-अनोखे थीम के जरिए नए विचारों को सामने लाकर दर्शकों को अचंभित करने की कोशिश करते हैं. दक्षिण कोलकाता की इस दुर्गापूजा कमेटी ने इस बार आकर्षक थीम ‘तांडव’ की रचना पर मंडप को तैयार किया है. हाजरा पार्क दुर्गोत्सव कमेटी इस वर्ष 80 वें वर्ष में पदार्पण कर चुकी है.’तांडव थीम’ दुनिया के वर्तमान परिदृश्य से संबंधित विषय को रखकर बनाया गया है .इस थीम के जरिए मानव जीवन का कुछ अनोखे पल को दिखाने की कोशिश की गई है. यह पूजा मंडप कोलकाता के हाजरा क्रॉसिंग के पास स्थित है.
थीम ‘तांडव’ सृजन और विनाश के चक्र को दर्शाती है. आधुनिक मशीनों और प्रौद्योगिकी ने मानव सभ्यता को छलांग और सीमा से बढ़ने में मदद की है. लेकिन प्रकृति मां की सर्वोच्च शक्ति से कुछ भी नहीं बच सकता है. इसलिए प्रकृति को हर तरह से पोषित और सम्मान किया जाना चाहिए.ब्रह्माण्ड विज्ञान के अनुसार हिन्दू शास्त्रों में विज्ञान को ‘तांडव’ का वैज्ञानिक सत्य बताया गया है जो प्रतिदिन अनदेखे सृष्टि के रूप में लगातार घटित हो रहा है.
ड्रम की ध्वनि से निकलने वाले महान ऊर्जा तरंगों की धुन मानव शरीर में तरंगों के रूप में पहुंचती है. इस तरह से संपूर्ण ब्रह्मांड ऊर्जा का एक स्रोत बन जाता है. जिसके बाद फिर से एकल ऊर्जा रूपांतरित हो जाती है और ब्रह्मांड एकल ऊर्जा का भंडार बन जाता है, जिसके बाद वह बहुआयामी ऊर्जा में रूपांतरित हो जाता है. यही ‘तांडव’ की मूल बातें हैं. तांडव वास्तव में ब्रह्मांड की एक सतत प्रक्रिया है, जिसे हम आमतौर पर परमात्मा के दृष्टिकोण से जानते हैं. हाजरा पार्क ने इस बार दर्शाया हैं कि कैसे यह मानव जीवन और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में लोग कैसे हर रोज नई चुनौतियों से लड़ रहे है.
तांडव थीम के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि, मानव होने के नाते हम अतीत के अपने अनुभव के आधार पर बेहतर कल के निर्माण की आशा के साथ संघर्ष करते रहना होगा. परिवर्तन जीवन का एक हिस्सा है, क्योंकि कुछ भी लंबे समय तक नहीं रहता है. इस पूजा पंडाल में यहीं दर्शाने का प्रयास किया गया है.