कोलकाता : हुगली जिले के तेलिनीपाड़ा में हिंसा और तनाव का मुद्दा गरमा गया है. भाजपा के केंद्रीय सचिव मंडल के सदस्य मुकुल राय के नेतृत्व में प्रदेश भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन में राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) से मुलाकात की और राज्य सरकार पर कानून व्यवस्था संभालने में असफल रहने का आरोप लगाते हुए राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की. प्रतिनिधिमंडल में श्री राय के अतिरिक्त प्रदेश भाजपा के महासचिव प्रताप बनर्जी, सांसद लॉकेट चटर्जी, सांसद अर्जुन सिंह व विधायक सब्यसाची दत्ता भी शामिल थे.
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राज्यपाल से मुलाकात के बाद श्री राय ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना महामारी में पुलिसकर्मी अपनी जान पर खेलकर ड्यूटी कर रहे हैं, लेकिन पुलिस प्रशासन व्यवस्था संभालने में पूरी तरह से असफल रहा है. व्यवस्थाएं गड़बड़ा गयी हैं. पहले खाद्य सचिव को हटाया गया फिर शहरी विकास विभाग के सचिव को हटाया गया और अब स्वास्थ्य सचिव को हटा कर जिम्मेदारी से बचने की कोशिश की जा रही है. राज्य की व्यवस्थाएं चरमरा गयी है. राज्यपाल से पूरे मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की गयी है.
भाजपा की सांसद लॉकेट चटर्जी ने कहा कि विगत दो दिनों से तेलिनीपाड़ा में बमबाजी हो रही है. घरों में लूटपाट हो रहे हैं. इस बारे में हुगली के पुलिस आयुक्त से बात करने की कोशिश की गयी, लेकिन सीपी फोन नहीं उठा रहे हैं. जिस तरह से एक विशेष संप्रदाय के लोगों के द्वारा उत्पात मनाया जा रहा है. वह पूर्व योजना के तहत हो रहा है. प्रशासन ने धारा 144 लगाया है, लेकिन पुलिस चुपचाप बैठी हुई है. चारों ओर अशांति है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. इस बाबत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र देकर हस्तक्षेप की मांग की गयी है. लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला को भी पूरी स्थिति की जानकारी दी गयी है.
भाजपा के सांसद अर्जुन सिंह ने कहा कि तेलिनीपाड़ा में पुलिस केवल दर्शक बनी हुई है. कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, जबकि राहत सामग्री ले जानेवाले भाजपा कार्यकर्ताओं को पुलिस गिरफ्तार कर रही है और उनके खिलाफ FIR दर्ज किये जा रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि दो दिन बाद मंगलवार को भी एक बार फिर दोनों गुटों के बीच हिंसक टकराव हुआ है. आरोप है कि इलाके में तोड़फोड़, आगजनी, बमबारी और गोलीबारी की गयी है. दावा है कि उपद्रवकारी लगातार हंगामे, तोड़फोड़ आगजनी कर रहे थे, लेकिन बार-बार सूचना देने के बावजूद पुलिस कर्मियों का अता-पता नहीं था. दरअसल हिंसा की शुरुआत दो दिन पहले हुई थी जब इलाके में 57 कोरोना संक्रमितों की पुष्टि होने की सूचना मिली थी और जांच को लेकर हिंसा भड़क उठी थी.