बोलपुर (आनंद सिंह) : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शांति निकेतन का दौरा करने के बाद कहा कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने यह बताया कि शिक्षा का उद्देश्य संकीर्णता की बेड़ियों को तोड़ना और यथार्थ को जानना है. यह विचार दुनिया भर में फैलना चाहिए.
यह उनके (अमित शाह) लिए सौभाग्य की बात है कि विश्व भारती में जाकर गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर को श्रद्धांजलि देने का मौका मिला. उन्होंने उन स्थानों पर वक्त बिताया, जहां कभी गुरुदेव और महात्मा गांधी ने समय बिताया था. गुरुदेव टैगोर एक ऐसी शख्सीयत हैं, जिन्होंने भारतीय दर्शन, ज्ञान व साहित्य की गूंज दुनिया भर में मजबूत किया.
आजादी के पहले राष्ट्रवाद की दो धाराएं थीं. एक का नेतृत्व गांधीजी और दूसरे का सुभाष चंद्र बोस कर रहे थे. दोनों को गुरुदेव से ही प्रेरणा मिलती थी. दुनिया में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ही एक व्यक्ति हैं, जिन्होंने दो देशों के राष्ट्रगान लिखे.
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विश्व भारती व शांति निकेतन के जरिये उन्होंने न केवल भारतीय भाषा, कला व संस्कृति को संरक्षित किया, बल्कि दुनिया भर के साहित्य, संस्कृति व कला का भारतीय भाषाओं के साथ सामंजस्य स्थापित किया. उन्हें नोबल पुरस्कार देकर नोबल कमेटी ने उन्हें सम्मानित नहीं किया, बल्कि कमेटी खुद सम्मानित हुई.
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने दिखाया कि शिक्षा का उद्देश्य संकीर्णता की बेड़ियों को तोड़ना और यथार्थ को जानना है. गुरुदेव की भारतीयता का प्रसार विश्व भर में हो और वैश्विक स्वीकृति मिले यही कामना है.
Posted By : Mithilesh Jha