कोलकाता : जहां चार यार मिल जायें वहीं रात हो गुलजार, जहां चार यार… अमिताभ बच्चन अभिनीत ‘शराबी’ फिल्म का एक गीत अपने जमाने में जबर्दस्त हिट हुआ था. इस गीत को आज भी सुनते हैं, लेकिन अब चार यार एक साथ खड़े नहीं हो सकते. बैठ नहीं सकते. कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा इस कदर बढ़ गया है कि लोग दोस्तों से भाग रहे हैं. खुद को अकेले अपने घर में कैद कर रहे हैं.
इस जानलेवा वैश्विक महामारी से बचने के लिए लोगों ने खुद को अकेला कर लिया है, लेकिन इससे उनकी परेशानी बढ़ गयी है. काम-धंधा सब चौपट हो गया है. वक्त गुजारना मुश्किल हो गया है. कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिनको दो वक्त की रोटी के लाले पड़ गये हैं. कुछ समाजसेवी संगठन इनका सहारा हैं. ये लोग उनके लिए भोजन का इंतजाम कर रहे हैं. वहीं, कुछ युवा व्यक्तिगत स्तर पर अपने दोस्तों के साथ मिलकर जरूरतमंदों की मदद में जुटे हैं.
ऐसी ही एक टीम है उत्तर कोलकाता में. लॉकडाउन में इनका काम बंद है, तो इन्होंने समाज के पिछड़े और परेशान लोगों की मदद करने की ठानी. खाली वक्त का सदुपयोग करने का निश्चय किया और लॉकडाउन में फंसे लोगों की मदद में अपना वक्त खपाने लगे. लॉकडाउन की घोषणा के बाद ही इन्हें एहसास हो गया था कि समस्या कितनी बड़ी है.
अधिवक्ता बृजेश झा, व्यवसायी ईश्वर दयाल, ब्रजेश बागड़ी व सुजीत चटर्जी ने तय किया कि खाली वक्त में जरूरतमंदों की मदद करेंगे. इन्होंने एक फंड बनाया. फिर क्षेत्र के जरूरतमंदों की लिस्ट तैयार की. लिस्ट में शामिल सभी लोगों तक इन्होंने राशन आदि पहुंचाने का काम शुरू कर दिया. इसके बाद अन्य दोस्तों को जब इस नेक काम के बारे में पता चला, तो कई और लोग इनके साथ जुड़ गये.
अच्छी बात यह है कि ये लोग न तो किसी पार्टी के परचम तले काम कर रहे हैं, न ही किसी संगठन के बैनर तले यह काम कर रहे हैं. 25 मार्च से अब तक ये लोग तकरीबन 12 हजार से भी अधिक परिवारों के पास राशन के सामन के साथ अन्य आवश्यक सामान पहुंचा चुके हैं. दर्जनों लोग जब इनसे जुड़े, तो इन्होंने खुद को टोलियों में बांट लिया.
एक टोली सामान इकट्ठा करती है, तो दूसरी टोली उसकी पैकिंग करती है. इसके बाद पैकेट को जरूरतमंदों तक पहुंचाया जाता है. इस नेक काम में भी लॉकडाउन के दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाता है. ये लोग उन बुजुर्गों की भी मदद करते हैं, जिन्हें दवाई की जरूरत है और दवा खरीदने केलिए बाजार नहीं जा पाते.
चार वार्ड (वार्ड संख्या 7, 8, 9 और 10) के ऐसे बुजुर्गों के लिए इस टोली ने एक हेल्पलाइन शुरू की है. वार्ड सात के लिए 905168299, वार्ड आठ के लिए 9051715584 व वार्ड नंबर 10 के लिए 7439315792 शुरू किया है. इस नंबर पर फोन करके लोग अपनी दवा का प्रिस्क्रिप्शन भेज रहे हैं. युवाओं की यह टोली उक्त दवा को दुकान से खरीदकर संबंधित लोगों के घर तक पहुंचाती है. जो पैसे देने में सक्षम हैं, उनसे पैसे लेते हैं और जो नहीं दे पाते, उन्हें मुफ्त में दवाएं दे रहे हैं.