West Bengal Crime News: पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश में हुई मवेशियों की तस्करी (Cattle Smuggling) के मामले की जांच कर रही सीबीआई के हाथ लगातार नये-नये तथ्य रहे हैं. इस मामले में तृणमूल नेता अनुब्रत मंडल पहले ही गिरफ्तार किये जा चुके हैं. उनके परिजन और करीबी भी जांच के दायरे में हैं. सूत्रों के अनुसार, जांच में यह बात सामने आयी है कि मवेशियों की तस्करी से जुड़े लोगों की एक लंबी चेन है. इस चेन में सरकारी मुलाजिम ही नहीं, बल्कि प्रभावशाली लोग भी हैं.
यह बात भी सामने आ रही है कि मवेशियों की तस्करी के लिए ‘गुप्त नंबर’ व ‘स्पेशल कोड’ का इस्तेमाल किया जाता था. इसके लिए पांच, 10 व 20 रुपये के नोटों के नंबर का व्यवहार भी किया जाता था. उक्त नोट में मवेशियों की तस्करी के रूट की जानकारी भी होती थी. मवेशियों की तस्करी के जुड़े लोग उक्त नोट का इस्तेमाल टोकन की तरह भी करते थे, जिसके जरिये एक के बाद एक चेक पोस्ट पर बिना किसी रुकावट के मवेशी भारत-बांग्लादेश सीमावर्ती इलाकों में पहुंचा दिये जाते थे, जहां से उन्हें बांग्लादेश भेज दिया जाता था.
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हालांकि, जांच के बाद आधिकारिक तौर पर सीबीआई की ओर से इस बारे में फिलहाल कुछ नहीं कहा गया है. सीबीआई की जांच के घेरे में बीरभूम के कुछ पशु हाट व उसके व्यवसायी भी हैं. अब्दुल लतीफ नामक व्यक्ति की तलाश में सीबीआई जुटी है. वह मवेशियों की तस्करी के मुख्य आरोपी एनामुल हक का करीबी व सहयोगी बताया जाता है. यह आरोप भी लग रहे हैं कि तृणमूल नेता अनुब्रत मंडल अपने पूर्व अंगरक्षक सैगल हुसैन (सहगल) के जरिये ही लतीफ व एनामुल से संपर्क में थे.
सैगल हुसैन भी मवेशियों की तस्करी के मामले में पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. उस पर तस्करी में मध्यस्थ की भूमिका निभाने का आरोप है. बताया जा रहा है कि उसके जरिये मवेशियों की तस्करी से प्राप्त रुपये प्रभावशाली लोगों तक पहुंचाये गये थे. तस्करी के लिए बीरभूम का इस्तेमाल ‘सेफ कॉरिडोर’ के रूप में किया जाता था.
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सैगल पर यह भी आरोप है कि वह बीरभूम से ही मुर्शिदाबाद में होने वाली मवेशी तस्करी की पूरी जानकारी रखता था. यह कहना गलत नहीं होगा कि मुर्शिदाबाद जिला के सीमावर्ती क्षेत्रों में संचालित मवेशियों की तस्करी का गिरोह मुख्य रूप से बीरभूम से नियंत्रित किया जाता था.