पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में 22 जुलाई को ईडी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी (Partha Chatterjee) उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी (Arpita Mukherjee) के ठिकानों समेत करीब 13 जगहों पर छापेमारी की थी. इनमें दो विधायकों के आवास भी शामिल थे. ईडी (ED) की रेड में अर्पिता के ठिकानों से करीब 49.8 करोड़ रुपये और पांच करोड़ से ज्यादा के गहने बरामद होने से हड़कंप मच गया था. इसके बाद पार्थ व अर्पिता को गिरफ्तार कर लिया गया. दोनों के नाम पर करोड़ों की साझा संपत्ति का भी पता चला है. दोनों के गिरफ्त में आते ही मामले में और गिरफ्तारियां होने लगीं. सीबीआइ ने पहली गिरफ्तारी 10 अगस्त को की, जब एसएससी की नियुक्ति समिति के पूर्व संयोजक शांति प्रसाद सिन्हा व एसएससी के पूर्व सचिव अशोक कुमार साहा को लंबी पूछ-ताछ के बाद अरेस्ट कर लिया गया .
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सीबीआई (CBI) ने घोटाले में मध्यस्थ की भूमिका निभानेवाले प्रसन्न राय व प्रदीप सिंह को गिरफ्तार किया. प्रदीप, प्रसन्न के संस्थान का पूर्व कर्मचारी थे. प्रसन्न 80 से ज्यादा शेल कंपनियों का मालिक हैं. 24 अगस्त को पहले प्रदीप की गिरफ्तारी हुई, फिर 26 अगस्त को प्रसन्न दबोचे गये. प्रसन्न, पार्थ चटर्जी का रिश्तेदार भी हैं. घोटाले में सरकारी उच्चाधिकारियों व नौकरी के लिए रुपये देने को तैयार अभ्यर्थियों के बीच मध्यस्थ रहे आरोपी प्रदीप सिंह की गिरफ्तारी के बाद ही मामले में प्रसन्न का नाम सामने आया था. इन दोनों के बाद ही सीबीआइ ने बड़ी कार्रवाई करते हुए गत 15 सितंबर को पश्चिम बंगाल मध्य शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली को गिरफ्तार किया. फिर 19 सितंबर को सीबीआइ ने एसएससी के पूर्व चेयरमैन व उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के उस समय कुलपति रहे सुबीरेश भट्टाचार्य को भी गिरफ्तार किया. इसके बाद सीबीआइ ने अदालत में दावा किया कि स्कूलों में अवैध नियुक्तियों बड़ी साजिश के तहत की गयी हैं.
सुबीरेश भट्टाचार्य वर्ष 2014 से 2018 यानी चार वर्षों तक एसएससी (SSC) के चेयरमैन थे और उस दरम्यान शिक्षकों की नियुक्ति में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. कलकत्ता हाइकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रंजीत कुमार बाग के नेतृत्व में बनी जांच समिति की रिपोर्ट में भी सुबीरेश भट्टाचार्य का नाम है. इधर, पार्थ व अर्पिता की गिरफ्तारी के बाद ईडी ने फिर बड़ी कार्रवाई करते हुए घोटाले में पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा पर्षद (डब्ल्यूबीबीपीइ) के पूर्व अध्यक्ष व तृणमूल कांग्रेस विधायक माणिक भट्टाचार्य को गिरफ्तार किया.
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ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर बताया कि प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में हुए घोटाले का सरगना माणिक भट्टाचार्य ही लगता है. माणिक नदिया के पलाशीपाड़ा से विधायक हैं. वर्ष 2014 में प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) हुई थी. इसमें उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की मेधा-सूची जारी हुई. फिर उसे रद्द कर दूसरी मेधा-सूची जारी की गयी. फिर आरोप लगे कि दूसरी मेधा-सूची में उन लोगों के नाम हैं, जिन्होंने रिश्वत देकर नौकरी पायी है. कहा जा रहा है कि टेट के बाद 273 लोगों की अवैध तरीके से नियुक्तियां हुईं. उन सबकी उत्तर-पुस्तिकाओं में गलत ढंग से नंबर बढ़ाये जाने का आरोप है.