कोलकाता : पश्चिम बंगाल में चार साल पहले एक तृणमूल नेता एवं विधायक की दीघा में मौत की फाइल आने वाले दिनों में खुलेगी. दिवंगत विधायक के पुत्र और तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके मोंटेश्वर के विधायक सैकत पांजा को अब लगता है कि उनके पिता की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हुई थी. अब वह इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करायेंगे. वर्ष 2016 में सैकत पांजा के पिता सजल पांजा, जो उस वक्त मोंटेश्वर के विधायक थे, की दीघा में मौत हो गयी थी.
सैकत ने कहा है कि उन्हें ऐसा महसूस हो रहा है कि उनके पिता की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हुई थी. उन्हें लगता है कि घटना की जांच होनी चाहिए. इसलिए उन्होंने तय किया है कि इस मामले में वह प्राथमिकी दर्ज करवायेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि वह अपनी पार्टी के शीर्ष नेताओं से सलाह-मशविरा करने के बाद ही इस मामले में आगे बढ़ेंगे.
यह पूछे जाने पर कि चार साल बाद उन्हें ऐसा क्यों लगता है कि उनके पिता की संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत हुई थी? उनके पिता की मौत स्वाभाविक नहीं थी, हो सकता है उनका खून किया गया हो, सैकत कहते हैं कि रात के डेढ़-दो बजे उनके पिता के शव का पोस्टमार्टम कराया गया था. उन्होंने कहा था कि शव को बर्दवान लाया जाये और यहीं पोस्टमार्टम करवाया जाये. लेकिन, उनको बताया गया कि शव को बर्दवान लाने में काफी परेशानी होगी.
सैकत पांजा ने कहा कि उस वक्त उनके पिता की मौत हुई थी. उस वक्त वह इन चीजों की तरफ बिल्कुल ही ध्यान नहीं दे पाये. दिमाग में ऐसा कुछ आया ही नहीं. उन्होंने बताया कि शायद परिवहन विभाग के स्टैंडिंग कमेटी की दीघा में बैठक थी. जिस समय पिता की मौत की खबर मिली, उसके ठीक 20 मिनट पहले सैकत को उनके पिता ने फोन किया था. एक तृणमूल नेता को 5 मिनट पहले उनके पिता ने फोन किया था.
सैकत पांजा कहते हैं कि पिता का चेहरा देखने के बाद संदेह नहीं हुआ,सैकत ने कहा कि मुझे डर था कि मैं आगे बढ़ा, तो मुझ पर और मेरे परिवार पर हमला हो सकता है. अब वो डर नहीं रहा. उल्लेखनीय है कि मेदिनीपुर में भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में शुभेंदु अधिकारी के साथ भारतीय जनता पार्टी का झंडा थामा था.
पार्टी छोड़ने के मुद्दे पर सैकत ने कहा, ‘पार्टी ने मुझे बिना हाथ के जगन्नाथ बना रखा था. मैं सिर्फ नाम का विधायक था. न तो मुझे कभी सांगठनिक काम करने दिया गया, न प्रशासनिक.’ ऐसा नहीं है. कई लोगों ने कहा. मैंने उस समय इस मामले पर ध्यान नहीं दिया. बाद में मेदिनीपुर के कई सरकारी अधिकारियों के साथ बातचीत के बाद मुझे कुछ तथ्य मिले.
उसके बाद से मेरा संदेह बढ़ने लगा. आने वाले दिनों में अपने पिता की मौत की जांच के लिए आवेदन दूंगा. हालांकि, यह पूरी तरह से मेरा व्यक्तिगत मामला है, लेकिन फिर भी पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों से विचार-विमर्श करूंगा.
Also Read: टूट जायेगा गठबंधन! कांग्रेस में उठी ‘लीडर ऑफ लीडर्स’ अधीर चौधरी को मुख्यमंत्री घोषित करने की मांग
सैकत कहते हैं कि कुछ लोगों पर संदेह है. उनके साथ फोन पर बातचीत की रिकॉर्डिंग वह निकालने चाहते थे. तब किसी अधिकारी ने उनसे कहा था कि बेवजह ये सब काम मत करो. घर में मां-भाई हैं. तुमको कुछ हो गया, तो उनकी देखरेख कौन करेगा? इसलिए उस वक्त वह चुप रह गये. सैकत ने कहा कि यह एक तरह से धमकी थी. तभी मुझे कुछ सुराग मिले. परिवार की वजह से मैं डर गया था.
सैकत ने कहा कि मुझे डर था कि मैं आगे बढ़ा, तो मुझ पर और मेरे परिवार पर हमला हो सकता है. अब वो डर नहीं रहा. उल्लेखनीय है कि मेदिनीपुर में भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में शुभेंदु अधिकारी के साथ भारतीय जनता पार्टी का झंडा थामा था.
पार्टी छोड़ने के मुद्दे पर सैकत ने कहा, ‘पार्टी ने मुझे बिना हाथ के जगन्नाथ बना रखा था. मैं सिर्फ नाम का विधायक था. न तो मुझे कभी सांगठनिक काम करने दिया गया, न प्रशासनिक.’
Posted By : Mithilesh Jha