कोलकाता : पश्चिम बंगाल सरकार ने प्राइवेट हॉस्पिटल की अधिकतम फीस तय कर दी है. सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि राज्य के निजी अस्पताल मरीजों को भर्ती करते समय इलाज के अनुमानित खर्च से 20 प्रतिशत अधिक या अधिकतम 50 हजार रुपये से ज्यादा नहीं वसूल सकते. एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी.
पश्चिम बंगाल चिकित्सकीय अधिष्ठान नियामक आयोग (डब्ल्यूबीसीईआरसी) ने रविवार को एक अधिसूचना जारी कर कहा कि तत्काल शुल्क जमा नहीं करने पर निजी अस्पताल मरीज को भर्ती करने से मना नहीं कर सकते. आयोग ने कहा, ‘सावधानीपूर्वक चर्चा और विचार करने के बाद यह निर्णय लिया गया कि मरीज को भर्ती करते समय अस्पतालों को इलाज की अनुमानित लागत से 20 प्रतिशत ज्यादा या अधिकतम 50 हजार रुपये से अधिक वसूल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती.’
अधिसूचना में कहा गया है कि यदि मरीज भर्ती होने के समय शुल्क जमा नहीं कर पाता है, तो अस्पताल उसे अस्थायी रूप से भर्ती करेगा और आवश्यक उपचार उपलब्ध करायेगा. अधिसूचना में कहा गया कि भर्ती होने के 12 बारह घंटे के भीतर शुल्क जमा करना होगा और ऐसा न करने पर अस्पताल आगे इलाज करने से मना कर सकता है. एक अन्य परामर्श में आयोग ने अस्पतालों से कहा कि रोगियों को रोजाना बिल के बारे में जानकारी दी जाये.
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ज्ञात हो कि कोरोना काल में निजी अस्पतालों व नर्सिंग होम पर नकेल कसने की राज्य सरकार हरसंभव कोशिश कर रही है. निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के कोविड पॉजिटिव पाये जाने के बाद उनके लिए दूसरे किसी कोविड अस्पताल में बेड सुनिश्चित किये बैगर उन्हें रेफर कर दिया जाता है, इसे सरकार ने गलत परंपरा कहा है. कहा है कि ऐसे में मरीज के परिजनों को न केवल एक से दूसरे अस्पताल के चक्कर लगाना पड़ रहा है, बल्कि एंबुलेंस के लिए भी उन्हें जूझना पड़ता है.
निजी एंबुलेंस चालक भी मरीज के परिजनों को लूट रहे हैं. ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इसलिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से एडवाइजरी जारी कर निजी अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि वे भर्ती मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें किसी कोविड अस्पताल में बेड सुनिश्चित होने के बाद ही वहां रेफर करेंगे. बेड की व्यवस्था नहीं होने तक मरीज को अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में ही रखने का निर्देश दिया गया है.
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Posted By : Mithilesh Jha
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