कोलकाता : पश्चिम बंगाल सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना संक्रमित के शव के दाह संस्कार और दफनाने के दौरान संक्रमण को लेकर उत्पन्न भय को दूर करने के लिए परामर्श जारी किया है. विभाग ने कहा कि ऐसे व्यक्तियों के दाह संस्कार या दफनाने के दौरान संक्रमण का खतरा नहीं है और अधिकारी जरूरी एहतियात बरत रहे हैं.
स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि वायरस के हवा से फैलने की कोई आशंका नहीं है, क्योंकि संक्रमण मरीज के छींकने या खांसने से बाहर आये तरल कण (ड्रॉपलेट्स) से होता है. परामर्श में कहा गया, ‘दाह संस्कार के दौरान 800 से 1000 डिग्री सेल्सियस तक तापमान होता है, जिसमें वायरस प्रभावी नहीं रह सकता. अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है कि शव जलाने के दौरान होने वाले धुआं से कोरोना वायरस फैलता है.’
बयान में कहा गया कि अगर मानक एहतियात का अनुपालन किया जाता है, तो निश्चित रूप से संक्रमित व्यक्ति के शव से स्वास्थ्यकर्मियों, परिवार के सदस्यों या इलाके के लोगों में संक्रमण का खतरा नहीं है.’ स्वास्थ्य विभाग ने इसके साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को भी उद्धृत किया, जिसके मुताबिक, संक्रमित के शव के संपर्क में आने से कोरोना वायरस का संक्रमण होने का मामला प्रकाश में नहीं आया है.
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परामर्श में कहा गया कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी ‘कोविड-19 शव प्रबंधन दिशा-निर्देश’ के अनुरूप अंतिम संस्कार के दौरान सभी एहतियात बरतना चाहिए. इसलिए स्पष्ट है कि अगर कोविड-19 के शव को ले जाने और अंतिम संस्कार करने के मानकों का पालन किया जाता है, तो संक्रमण का कोई खतरा नहीं है.’
उल्लेखनीय है कि 23 मार्च को कोलकाता के नीमतल्ला इलाके में स्थानीय लोगों ने कोरोना वायरस संक्रमित के शव का नजदीकी श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार कराने का विरोध किया था और सरकारी अधिकारियों को ऐसा करने से रोक दिया था. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दो घंटे लगे स्थानीय लोगों को अंतिम संस्कार के लिए मनाने में.
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इस बीच, कोलकाता नगर निगम ने धापा और तपसिया स्थित दो शव दाह गृह भट्टी और बाघमारा स्थित कब्रिस्तान को कोरोना वायरस संक्रमितों के शव को दफनाने के लिए आरक्षित किया है.