पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में तृणमूल विधायक और पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य (Manik Bhattacharya) की याचिका को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने खारिज कर दिया है. फिलहाल माणिक भट्टाचार्य को ईडी की हिरासत में ही रहना होगा. सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की खंडपीठ ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया है. प्राथमिक भर्ती घोटाला मामले में आरोपी माणिक को ईडी ने आर्थिक गबन के आरोप में गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के फैसले को चुनौती देते हुए माणिक सुप्रीम कोर्ट गए थे. वहीं गुरुवार को माणिक भट्टाचार्य की अपील को सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दिया है. गौरतलब है टीएमसी विधायक माणिक भट्टाचार्य 25 अक्टूबर तक ईडी हिरासत में ही रहेंगे.
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ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए माणिक भट्टाचार्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सीबीआई की गिरफ्तारी से बचाया था. हालांकि, ईडी ने उन्हें वित्तीय गबन के आरोप में गिरफ्तार किया है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस विक्रम नाथ की खंडपीठ ने गुरुवार की सुबह मामले पर फैसला सुनाया. उन्होंने कहा कि ईडी द्वारा माणिक को गिरफ्तार करने में कोई गलती नहीं है. संयोग से इससे पहले मंगलवार को माणिक के टेट से जुड़े एक और मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई थी. विशेषज्ञों ने टिप्पणी की कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच द्वारा दिया गया फैसला कुछ हद तक माणिक के पक्ष में गया था हालांकि गुरुवार का फैसला विधायक के खिलाफ चला गया.
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बताया जा रहा है कि ईडी की जांच के दायरे में माणिक भट्टाचार्य के फोन के कॉल डिटेल्स और मैसेज भी हैं. आरोप है कि माणिक का घोटाले को लेकर कई लोगों से बातचीत हुई है. कुछ मैसेज के आदान-प्रदान भी हुए थे, जिन्हें डिलीट कर दिया गया. केंद्रीय जांच एजेंसी डिलीट मैजेस की जानकारी वापस प्राप्त करने करने के लिए फोरेंसिक एक्सपर्ट की भी मदद ले रही है. गौरतलब है कि वर्ष 2014 में प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) हुई थी. उसमें उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की पहली मेधा-सूची जारी होने के बाद रद्द कर दी गयी. फिर दूसरी मेधा-सूची जारी की गयी. इसके बाद ही आरोप लगने लगे कि दूसरी मेधा-सूची में उन लोगों को शामिल किया गया है, जिन्होंने रिश्वत देकर नौकरी पायी है.
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