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लॉकडाउन में बंद हो गया काम तो महिलाओं ने बनाना शुरू कर दिया मास्क

कोरोना महामारी के बाद लॉकडाउन से काम बंद हो गया, लेकिन महिलाओं ने हिम्मत नहीं हारी और मास्क बनाना शुरू कर दिया. इससे न केवल आमदनी हुई, वरन कोरोना मुकाबले में मददगार भी साबित हुई. पूर्व मेदिनीपुर की तमलुक की पिपुलबेरिया-1 कनक मुखर्जी संघ प्राथमिक बहुउद्देशीय महिला सहकारी समिति लिमिटेड की लगभग 20-22 महिलाएं पिछले डेढ़ महीने से दिन-रात मास्क बना रही हैं.

हल्दिया : कोरोना महामारी के बाद लॉकडाउन से काम बंद हो गया, लेकिन महिलाओं ने हिम्मत नहीं हारी और मास्क बनाना शुरू कर दिया. इससे न केवल आमदनी हुई, वरन कोरोना मुकाबले में मददगार भी साबित हुई. पूर्व मेदिनीपुर की तमलुक की पिपुलबेरिया-1 कनक मुखर्जी संघ प्राथमिक बहुउद्देशीय महिला सहकारी समिति लिमिटेड की लगभग 20-22 महिलाएं पिछले डेढ़ महीने से दिन-रात मास्क बना रही हैं.

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इस सहकारी समिति की महिलाएं मशरूम की खेती करती थीं और अचार, चनाचूर, बच्चों और लड़कियों के कपड़े बनाती थीं, लेकिन लॉकडाउन के परिणामस्वरूप लगभग दो महीने तक काम बंद हो गया, तो सहकारी समिति की महिलाओं मास्क बनाना शुरू कर दिया.

फिलहाल मास्क की बाजार में बहुत ही मांग है. कोरोना वायरस से निपटने के लिए हर आदमी का इस्तेमाल कर रहा है. महिलाएं अभी तक लगभग 18,000 मास्क बना चुकी हैं और जिला स्वास्थ्य विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, बिजली विभाग, नर्सिंग होम सहित विभिन्न स्थानों आपूर्ति कर रही है. सूती के कपड़े से बने मास्क की कीमत 22 रुपये है.

महिला स्वयं सहायता समूह कार्यकर्ता मालविका दास प्रमाणिक ने कहा कि उन लोगों ने मास्क बनाना शुरू किया है और इसकी बहुत ही मांग है. वे लोग काम बंद होने से निराश नहीं हुईं, वरन समाज के लिए काम करने का बीड़ा उठाया. मास्क बनाने के सैनेटाइजेशन का खयाल रखा जा रहा है.

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