साइंस स्ट्रीम से बारहवीं पास करनेवाले छात्रों में एक आम धारणा होती है कि जिन छात्रों ने मैथ्स को मुख्य विषय के रूप में चुना है, वे इंजीनियरिंग के क्षेत्र में प्रवेश करेंगे और जिन्होंने बायोलॉजी से बारहवीं की परीक्षा पास की है, वे मेडिकल के क्षेत्र में करियर बनायेंगे. लेकिन, बायोलॉजी के छात्र भी इंजीनियर के रूप में करियर बना सकते हैं, इस तथ्य से कई छात्र अंजान हैं. आइये जानते हैं इंजीनियरिंग की ऐसी पांच शाखाओं के बारे में, जहां बायो स्ट्रीम के छात्रों के लिए ढ़ेरों संभावनाएं हैं.
बायोमेडिकल इंजीनियरिंग :
विज्ञान की इस शाखा में इंजीनियरिंग के सिद्धांतों और मेडिकल व बायोलॉजिकल साइंस का संयोजन करके स्वास्थ देखभाल संबंधी उपकरणों को डिजाइन व तैयार किया जाता है. इन उपकरणों में आर्टिफीशियल इंटरनल ऑर्गंस, शरीर के अंगों के प्रतिस्थापन एवं चिकित्सा समस्याओं का निदान करनेवाली विभिन्न प्रकार की मशीनों पर काम किया जाता है. बायोमेडिकल इंजीनियर को मेडिकल डिवाइस पर रिसर्च करने, टेस्टिंग और मूल्यांकन संबंधी कार्य करना होता है. बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में कई शाखाएं हैं, जिनमें बायोइंस्ट्रूमेंटेशन, बायोमटीरियल्स, सेल्यूलर, टिशू एंड जेनेटिक इंजीनियरिंग, क्लीनिकल इंजीनियरिंग, मेडिकल इमेजिंग, ऑर्थोपेडिक बायोइंजीनियरिंग, रिहैबिलिटेशन इंजीनियरिंग आदि शामिल हैं. छात्र इनमें से किसी भी एक शाखा में विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं.
जेनेटिक इंजीनियरिंग :
जेनेटिक इंजीनियरिंग विज्ञान की एक आधुनिक ब्रांच है. यह क्षेत्र बायोटेक्नोलॉजी के अंतर्गत आता है. इसमें सजीव प्राणियों के डीएनए कोड में मौजूद जेनेटिक को अत्याधुनिक तकनीक के जरिये परिवर्तित किया जाता है. जेनेटिक तकनीक के माध्यम से जींस की मदद से पेड़-पौधे, जानवर और इंसानों में अच्छे गुणों को विकसित किया जाता है. जेनेटिक इंजीनियरिंग करने के बाद मेडिकल व फार्मास्युटिकल कंपनी, एग्रीकल्चर सेक्टर, प्राइवेट एंड गवर्नमेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेक्टर में जॉब कर सकते हैं. इसके अलावा बायोटेक लेबोरेटरी में रिसर्च, एनिमल हसबैंड्री, डेयरी फार्मिंग, मेडिसिन में रोजगार के बेहतर अवसर होते हैं.
बायोटेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग :
बायोटेक्नोलॉजी का उपयोग पेड़-पौधों और जानवरों के संवर्धन, फूड प्रोडक्ट्स आदि की गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाता है. मेडिकल साइंस में बायोटेक्नोलॉजी का फायदा दवाओं के उत्पादन, अनुवांशिक परीक्षण और जीन थेरेपी के लिए किया जाता है. आज कई संस्थानों में बायोटेक्नोलॉजी में बैचलर और पीजी स्तर के कोर्स उपलब्ध हैं. बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्रों में जॉब के विभिन्न अवसर उपलब्ध हैं. बायोटेक्नोलॉजी की शिक्षा प्राप्त करनेवाले छात्र प्लांट और एग्रीकल्चर से जुड़े क्षेत्र, हेल्थ केयर डाइग्नॉस्टिक, इंडस्ट्रियल बायोटेक्नोलॉजी, एनवायर्नमेंटल प्रोटेक्शन एंड बायोडाइवर्सिटी कंजर्वेशन, टीचिंग ऐंड ट्रेनिंग आदि से संबंधित कार्य कर सकते हैं. आज फार्मा इंडस्ट्री, फूड इंडस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी से संबंधित लैब, एग्रीकल्चर फर्म और इससे संबंधित कंपनियों में साइंटिस्ट, एनालिस्ट, एग्जीक्यूटिव और रिसर्चर के रूप में बायोटेक्नोलॉजिस्ट की काफी मांग है.
एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग :
एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में कृषि को बढ़ावा देनेवाले प्रयासों जैसे फसल की अच्छी पैदावार के लिए उपयुक्त मिट्टी, खाद्य पदार्थ, बीज, बायोलॉजिकल सिस्टम आदि से संबंधित बारीकियां सिखाई जाती हैं. मौजूदा दौर में सरकारी से लेकर प्राइवेट सेक्टर तक में कृषि विशेषज्ञों की मांग रहती है. ऐसे में यदि आप एग्रीकल्चर इंडस्ट्री में करियर बनाने की ख्वाहिश रखते हैं, तो एग्रीकल्चर इंजीनियर के रूप में इस क्षेत्र में प्रवेश कर सकते हैं. इस क्षेत्र में प्रवेश करनेवाले युवा एग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव्स, मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स, फर्टिलाइजर और इरिगेशन कंपनी, फार्मिंग कंपनीज, ऑर्गनाइजेशन, एनजीओ आदि में रोजगार के अवसर तलाश सकते हैं.
फूड साइंस एवं टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग :
अच्छे खानपान का शौक रखने के साथ फूड प्रोडक्ट में प्रयोग होनेवाले रसायनों, खाद्य पदार्थों के रख-रखाव, उन्हें पैक करने के तरीकों एवं मार्केटिंग से संबंधित बातों में रुचि रखनेवाले युवाओं के लिए फूड साइंस एवं टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग में एक बेहतरीन करियर ऑप्शन बन कर उभरा है. एक फूड टेक्नोलॉजिस्ट के रूप में छात्र फूड प्रोसेसिंग कंपनियों, फूड रिसर्च लेबोरेटरी, होटल, रेस्टोरेंटों, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में करियर की संभावनाएं तलाश सकते हैं.