चार्टर्ड अकाउंटेंसी के छात्रों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आ रही है.सोमवार को इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) को उन छात्रों पर विचार करने का सुझाव दिया, जो छात्र परीक्षा नहीं दे पा रहे हैं उन्हें ऑप्ट आउट स्कीम का लाभ दिया जाए, भले ही उन छात्रों ने ऑप्ट आउट (Opt Out) का ऑप्शन न चुना हो.
न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली एक पीठ, इंडिया वाइड पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष, अनुभा श्रीवास्तव सहाय द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो “ऑप्ट-आउट” योजना पर रोक लगाने की मांग कर रही थी.
आईसीएआई ने अपने उम्मीदवारों को दिया था, जिन्होंने पहले से ही मई 2020 की परीक्षा के लिए एक ऑनलाइन परीक्षा आवेदन जमा किया था, मई 2020 परीक्षाओं से ऑप्ट-आउट (Opt Out) करने और अगली परीक्षा के लिए अपनी उम्मीदवारी को आगे बढ़ाने का विकल्प.
शीर्ष अदालत ने आईसीएआई को नए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के लिए कहा, जिसमें पीठ द्वारा सामने रखे गए सुझावों को शामिल किया गया और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 2 जुलाई तक के लिए पोस्ट कर दिया.
पीठ ने कहा, “आईसीएआई के वकील निर्देश ले सकते हैं और संशोधित मसौदा अधिसूचना में बदलाव कर सकते हैं.”
सुप्रीम कोर्ट के वकील, अलख आलोक श्रीवास्तव, अदालत के सामने याचिकाकर्ता के लिए पेश हुए थे और मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बहस कर रहे थे.
याचिका में अधिक परीक्षा केंद्र, “ऑप्ट-आउट” (Opt Out) योजना पर रोक लगाने और कोरोनोवायरस से लगभग 3.46 लाख सीए छात्रों के लिए बेहतर सावधानी बरतने की मांग की गई, जो मई चक्र परीक्षा में उपस्थित होने के लिए 29 जुलाई से 16 अगस्त के बीच आयोजित किए जाएंगे.
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टेड अकाउंटैट्स ऑफ इंडिया (ICAI) के वकील रामजी श्रीनिवासन ने अदालत को सूचित किया कि अगर किसी भी उम्मीदवार ने कोविड-19 स्थिति के कारण परीक्षा में शामिल होने में असमर्थता के बारे में संस्थान को ईमेल भेजा, तो वे इस पर सवाल नहीं करेंगे. उन्होंने आगे कहा, “यह 4-4 परीक्षाओं का एक समूह है. वे कोविड प्रभावित होने के बाद की तारीख में उपस्थित हो सकते हैं.”
शीर्ष अदालत ने इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टेड अकाउंटैट्स ऑफ इंडिया से कहा, “छात्रों के लिए फैसले लेते वक्त कठोर बनने की बजाए राहत देनी चाहिए. इन छात्रों के लिए कुछ चिंता दिखाएं. आप एक पेशेवर संस्था हैं. आपको अपने उम्मीदवारों का ध्यान रखना चाहिए.” संस्थान ने हाल ही में इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक हलफनामा दायर किया था.